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बहराइच में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- UP सरकार उठाना चाहे जोखिम तो उनकी मर्जी

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बहराइच में हुई हिंसा मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने अगली सुनवाई तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई है. इसी के साथ कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से बड़ी बात कही कि अदलात के इस फैसले की अवहेलना का जोखिम अगर सरकार उठाना चाहती है, तो ये उनकी मर्जी पर निर्भर है.

बहराइच में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा- UP सरकार उठाना चाहे जोखिम तो उनकी मर्जी
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( Image Source:  ANI )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 22 Oct 2024 2:15 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बहराइच में हुई हिंसा मामले पर सुनवाई हुई. इस सुनवाई में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने की कार्रवाई पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई है. इस मामले में अब अगली सुनवाई बुधवार को होगी.जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने ये आदेश दिया है.

दरअसल आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन के आदेश को चुनौती दी गई थी. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बहराइच के स्थानीय निवासियों ने राहत की सांस ली है.

कोर्ट ने कही ये बात

वहीं इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक बड़ी बात भी कही है. कोर्ट का कहना है कि यदि अदालत के इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार अस्वीकारने का जोखिम उठाना चाहती है, तो ये उनपर निर्भर हैं. वहीं इस मामले में अगली सुनवाई कल यानी बुधवार तक होने वाली है. अगली सुनवाई तक उत्तर प्रदेश सरकार से किसी भी तरह की कार्रवाई न करने का आदेश जारी किया गया है.

PWD ने जारी किया था नोटिस

PWD ने धार्मिक जुलूस के दौरान बजाए जा रहे संगीत को लेकर बहराईच जिले के एक गांव में सांप्रदायिक हिंसा में शामिल तीन लोगों को विध्वंस नोटिस जारी किया था. इस पर तीन लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था. वहीं मंगलवार को कोर्ट में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि आवेदक के पिता और भाई में से एक ने आत्मसमर्पण कर दिया था और नोटिस कथित तौर पर 17 अक्टूबर को जारी किए गए थे और 18 अक्टूबर की शाम को चिपकाए गए थे.

आदेशों का उल्लंघन है

वकील सीयू सिंह ने कहा, "यह आपके आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है. पीडब्ल्यूडी ने तीन दिनों के भीतर विध्वंस के लिए नोटिस जारी किया है. वहीं इस पर सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा है और नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है. वहीं

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