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बहराइच हिंसा केस में 13 महीने 26 दिन बाद बड़ा फैसला, राम गोपाल मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी सरफराज को फांसी की सजा

बहराइच जिले में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के चर्चित मामले में अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाया. 13 अक्टूबर 2024 को हुई इस घटना में 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मौत हो गई थी. इसके अलावा 9 अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

बहराइच हिंसा केस में 13 महीने 26 दिन बाद बड़ा फैसला, राम गोपाल मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी सरफराज को फांसी की सजा
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( Image Source:  ANI )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Updated on: 11 Dec 2025 6:13 PM IST

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के चर्चित मामले में अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाया. 13 अक्टूबर 2024 को हुई इस घटना में 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की गोली लगने से मौत हो गई थी. लगभग 14 महीनों के भीतर पूरी हुई सुनवाई के बाद अदालत ने मुख्य आरोपी सरफराज को फांसी और 9 अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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इस फैसले के बाद लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे मृतक के परिजनों ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया है. प्रशासन ने भी क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है ताकि शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके.

कोर्ट ने 13 आरोपियों में से 10 को दोषी माना

9 दिसंबर को बहराइच की अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 13 में से 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि सबूतों के अभाव में तीन को बरी कर दिया गया था. दोषी करार दिए गए आरोपियों में अब्दुल हमीद, फहीम, सरफ़राज, तालिब, सैफ, जावेद, जीशान, ननकऊ, शोएब और मारुफ शामिल हैं. इनमें से सरफ़राज को फांसी की सजा, जबकि शेष 9 आरोपियों अब्दुल हमीद, फहीम, तालिब, सैफ, जावेद, जीशान, ननकऊ, शोएब और मारुफ को उम्रकैद की सजा दी गई है.

रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ मुकदमा

शासकीय अधिवक्ता प्रमोद सिंह ने बताया कि यह मामला 13 महीने 26 दिन में निपट गया, जो तेज न्याय का एक उल्लेखनीय उदाहरण है. पुलिस ने 11 जनवरी 2025 को चार्जशीट दाखिल की, 18 फरवरी को आरोप तय हुए और 12 गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद 21 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.

डीजे से शुरू हुआ था विवाद

यह घटना महसी थाना क्षेत्र के महराजगंज में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई थी. जुलूस में बज रहे डीजे के गाने को लेकर विवाद बढ़ गया, जिसके बाद दोनों पक्षों में पथराव और फायरिंग हुई. इसी दौरान गोली लगने से राम गोपाल मिश्रा की मौत हो गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए कई आरोपियों पर रासुका भी लगाई गई थी.

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