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क्यों उठ रही भील प्रदेश बनाने की मांग, कौन-कौन से जिले हैं शामिल?

Rajasthan News: BAP सांसद राजकुमार रोत ने एक प्रस्ताव में लिखा, राजस्थान के बांसवाड़ा-डूंगरपुर को अलग करके भील प्रदेश बनाया जाए. वहीं एमपी, महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी आबादी वाले जिलों को भी इनमें शामिल किया जाए.

क्यों उठ रही भील प्रदेश बनाने की मांग, कौन-कौन से जिले हैं शामिल?
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( Image Source:  @roat_mla )

Rajasthan News: राजस्थान में एक दिनों नए प्रदेश बनाने की मांग को लेकर हंगामा मचा हुआ है. दरअसल भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत एक नई डिमांड कर रहे हैं. रोत और उनके समर्थक बांसवाड़ा-डूंगरपुर को अलग करके भील प्रदेश बनाना चाहते हैं. इसलिए वह राजस्थान सरकार ने अपील कर रहे हैं.

जानकारी के अनुसार, वर्ष 1885 के नक्शे के बारे में बताते हुए भिल समुदाय दावा कर रहा है कि ये उनका पारंपरिक क्षेत्र है. इस मैप में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों को भी हाईलाइट किया गया है, जहां भील आदिवासियों की घनी आबादी रहती थी.

क्या है मामला?

BAP सांसद राजकुमार रोत ने एक प्रस्ताव में लिखा, राजस्थान के 11 जिलों प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर और आसपास के इलाकों को मिलाकर एक नए राज्य का गठन किया जाए. वहीं एमपी, महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी आबादी वाले जिलों को भी इनमें शामिल किया जाए. उनका कहना है कि ये आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करेगा.

पहले भी उठी थी मांग

रोत ने आगे कहा कि साल 1913 में गोविंद गुरु ने मांगढ़ में 1500 से ज्यादा आदिवासियों ने भी भील राज्य की स्थापना की मांग की थी. इस अभियान में कितनों की तो जान भी चली गई. उनका कहना है कि चार राज्य बनाने के चक्कर में भील समुदाय का हक छीना गया है. इसलिए अब हम अपना हक लेकर रहेंगे.

रोत के इस प्रस्ताव ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है. कुछ नेताओं का कहना है कि ये देश को तोड़ने के लिए हैं. कुछ ने तो आरोप लगाया कि रोत राजस्थान को तोड़ना चाहते हैं. सोशल मीडिया पर भी इस मांग की आलोचना की जा रही है.

कौन होते हैं भील समुदाय?

भील समुदाय भारत की दूसरी बड़ी जनजातीय आबादी है. यह राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के हिल-फॉरेस्ट इलाकों में बसती है. ये समुदाय कृषि पर निर्भर हैं. उनकी प्रमुख फसलों में बाजरा, ज्वार, मक्का और दालें शामिल हैं. पशुपालन (गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी) भी उनके जीवन का हिस्सा है. भील संस्कृति में जीवंत स्थानीय देवताओं की पूजा, पंथरा (Pithora) चित्रकला, और घूमर, भगोरिया जैसे नृत्य प्रमुख हैं, जो उनकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. आज भी भील जनजाति सामाजिक सुधारों, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की चुनौतियों से जूझ रही है.

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