दोगुनी कीमतों पर बेचा रहा जा सामान, छत पर रहने को मजबूर, अमृतसर में बाढ़ पीड़ितों ने सुनाई आपबीती
Punjab Flood: अमृतसर जिले के अजनाला क्षेत्र के लाल सिंह वाला गांव बाढ़ की चपेट में है. यहां रहने वाली रणजीत कौर और उनका परिवार पिछले तीन दिनों से अपने घर की छत पर रहने को मजबूर है. लोगों को काफी परेशानी हो रही है, जिससे आम जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है.
Punjab Flood: हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से लगातार तेज बारिश और बादल घटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसका असर हिमाचल से सटे पंजाब में भी देखने को मिल रहा है. प्रदेश में पहले से लगातार बारिश हो रही है, ऊपर से नदियों के उफान पर आने से परेशानी और बढ़ गई है. कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के कुछ इलाकों की हालत इतनी बुरी है कि लोग अपने कमरे में रहने की जगह छत पर रह रहे हैं. घरों में पानी घुस गया है और उनका सामान सब बर्बाद हो गया. आम जनजीवन पुरी तरह से अस्त-व्यस्त है.
बाढ़ से परेशान लोगों का दर्द
अमृतसर जिले के अजनाला क्षेत्र के लाल सिंह वाला गांव बाढ़ की चपेट में है. यहां रहने वाली रणजीत कौर और उनका परिवार पिछले तीन दिनों से अपने घर की छत पर रहने को मजबूर है. उनका मकान बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब चुका है. उन्होंने बच्चों को रिश्तेदारों के पास भेज दिया है, लेकिन रणजीत और उनके पति घर छोड़ने को तैयार नहीं.
उनका कहना है कि मेरे पास सिर्फ एक भैंस है, यही हमारी रोजी-रोटी का एकमात्र सहारा है. मैं इसे छोड़कर कैसे जा सकती हूं? भैंस को घर के अंदर बने ऊंचे चबूतरे पर रस्सी से बांधा गया है. कौर ने उस रस्सी को पकड़ रखा है, जिससे भैंस पानी में न डूब जाए. ऐसा ही हाल पूरे गांव का है.
गांव की सड़कों पर पानी ही पानी भरा हुआ है. ग्रामीण अपनी-अपनी छतों पर रह रहे हैं, उन्हें डर है कि कहीं उनका सामान न चोरी हो जाए. बता दें कि पंजाब में बाढ़ की वजह से अब तक 24 लोगों की मौत हो गई है, जिसका सबसे बड़ा कारण मकान ढह जाना है.
बारिश के बाद नदियों का बढ़ा जलस्तर
पंजाब के 8 गांव बाढ़ की चपेट में हैं. हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कैचमेंट एरिया में लगातार बारिश के बाद भाखड़ा और रंजीत सागर जैसे बांधों से पानी छोड़ा गया, जिससे सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर आ गईं.
प्रशासन का मानना है कि इस बार रावी नदी का जलस्तर सबसे भयावह रहा है, जिसने गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का के गांवों को जलमग्न कर दिया. स्कूल-कॉलेजों को 3 सितंबर के बंद किया गया है. प्रशासन ने 14,900 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है. ग्रामीण अपना गांव छोड़ने को तैयार नहीं है क्योंकि पालतू जानवरों को कहीं और ले जाना संभव नहीं है.
महंगा हो गए सामान
गांव के हालात इतने बुरे हैं कि दुकानदार ज्यादा कीमत पर सामान बेच रहे हैं. हेलिकॉप्टर राहत सामग्री जब नीचे फेंकी गई तो राशन पानी में डूबकर बर्बाद हो गए. पॉलिथीन शीट की क़ीमत 130 रुपये किलो से बढ़कर 170-200 रुपये तक हो गई है. पानी की बोतल डबल हो गई. हालांकि विधायक कुलदीप सिंह ढालीवाल ने दुकानदारों को कालाबाजारी को लेकर चेताया है.





