एक्सप्रेस-वे पर धाकड़ के साथ सेक्स करने वाली महिला का चल गया पता! पुलिस ने क्या-क्या बताया?
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर खुलेआम अश्लील हरकत करने वाले पूर्व भाजपा नेता मनोहरलाल धाकड़ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वायरल वीडियो में दिख रही महिला की तलाश जारी है. पुलिस ने बताया कि महिला का पता चल गया है. कांग्रेस ने महिला को शिक्षिका बताकर नेताजी पर दुरुपयोग का आरोप लगाया है. पुलिस जांच तेज़ है.

Manohar Lal Dhakad Viral Video: मंदसौर से गुजरते दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर खुलेआम आपत्तिजनक हरकत करते एक कथित भाजपा नेता का वीडियो वायरल होने के बाद सियासी तूफान मच गया है. जिस व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वह मनोहरलाल धाकड़ नामक पूर्व भाजपा नेता है. अब सवाल इस बात पर टिका है कि वीडियो में दिखने वाली महिला कौन थी और आखिर वो इस कृत्य के लिए क्यों तैयार हुई?
वायरल वीडियो दरअसल 13 मई का था लेकिन सोशल मीडिया पर ये 22 मई को आया. इस विलंब को लेकर भी ब्लैकमेलिंग की आशंका जताई जा रही है. पुलिस के अनुसार, वीडियो लीक करने के पीछे दबाव बनाने या पैसे ऐंठने की कोशिश हो रही थी. वहीं, NHAI ने इस प्रकरण में संलिप्तता के शक में तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है. पुलिस कहती है कि इन कर्मचारियों के खिलाफ भी एफआईआर हो सकती है.
कौन है वीडियो में दिख रही महिला?
कांग्रेस ने दावा किया है कि वीडियो में दिखने वाली महिला एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका है, जो तबादले के सिलसिले में पूर्व भाजपा नेता से मिली थी. कांग्रेस नेता के मुताबिक महिला पर दबाव या लालच देकर यह हरकत करवाई गई, जिससे यह मामला सिर्फ़ अश्लीलता नहीं, बल्कि यौन शोषण और बलात्कार की धारा तक जा सकता है. ऐसे में जांच का दायरा केवल नेताजी की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहना चाहिए.
महिला को लेकर क्या बोली पुलिस?
रतलाम रेंज के डीआईजी मनोज कुमार सिंह के निर्देश पर केस दर्ज किया गया है. हालांकि अभी तक महिला गिरफ्तार नहीं हुई है. मंदसौर पुलिस अधीक्षक की ओर से बताया गया कि महिला की पहचान हो चुकी है और उसकी गिरफ्तारी जल्द की जाएगी. भानपुरा थाना प्रभारी ने बताया कि महिला की पहचान हो चुकी है और वह मनोहरलाल की पुरानी मित्र है. ऐसे में अब पुलिस पर दबाव और निष्पक्षता की दोहरी चुनौती है. क्या महिला को पीड़िता मानते हुए विवेचना होगी या सह-अपराधी मानकर?
केवल नैतिक पतन का है मामला?
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ऐसे मामलों को केवल नैतिकता के चश्मे से देखा जाए, या सत्ता और दबाव के ज़रिए स्त्री को वस्तु की तरह इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति के रूप में भी समझा जाए? यदि महिला का शोषण हुआ है तो मामला पूरी तरह से लैंगिक अपराध की श्रेणी में आ सकता है. राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल यदि किसी महिला को मजबूर करने के लिए हुआ है, तो यह सामाजिक और कानूनी रूप से अति गंभीर है.
सिर्फ़ गिरफ्तारी नहीं, जवाबदेही तय हो
इस मामले को केवल एक वायरल वीडियो और गिरफ्तारी से निपटाया नहीं जा सकता. यह सत्ता, लैंगिक संबंधों, महिला अधिकारों और राजनीतिक नैतिकता के सवालों से जुड़ा हुआ है. क्या नेताओं के लिए कानून अलग है? क्या महिला सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद संरक्षण से वंचित रहेगी? और क्या ऐसी घटनाओं पर समाज का मौन समर्थन इन्हें दोहराने का निमंत्रण देता रहेगा? इन सवालों के जवाब ही इस केस की असल परिणति तय करेंगे.