मौत का मजाक! इंदौर में 40 घंटे के जाम में गई 3 जानें, NHAI बोला: लोग फालतू में इतनी जल्दी घर से निकलते ही क्यों हैं?
इस भयानक जाम पर जब मामला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में पहुंचा, तो सबकी निगाहें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की तरफ थीं. लोगों को उम्मीद थी कि प्राधिकरण जिम्मेदारी स्वीकार करेगा. लेकिन अदालत में NHAI के वकील का जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा 'लोग बिना किसी काम के इतनी जल्दी घर से क्यों निकलते हैं?'

इंदौर शहर, जिसे आमतौर पर "मिनी मुंबई" कहा जाता है, बीते हफ्ते एक भयानक हादसे का गवाह बना. आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-52) के इंदौर-देवास खंड पर लगातार 40 घंटे तक चला ट्रैफिक जाम न सिर्फ लोगों की दिनचर्या को ठप कर गया, बल्कि तीन लोगों की जान भी ले गया.
इनमें कमल पांचाल (62), इंदौर निवासी, बलराम पटेल (55), शुजालपुर निवासी और संदीप पटेल (32), गारी पिपल्या गांव से शामिल थे. गर्मी और दमघुटन के बीच कमल पांचाल को दिल का दौरा पड़ा और अन्य दो लोगों की भी हालत बिगड़ती गई. इस पर NHAI ने ऐसा जवाब दिया, जिसे सुन हर कोई हैरान रह गया.
NHAI का चौंकाने वाला जवाब
इस भयानक जाम पर जब मामला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में पहुंचा, तो सबकी निगाहें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की तरफ थीं. लोगों को उम्मीद थी कि प्राधिकरण जिम्मेदारी स्वीकार करेगा. लेकिन अदालत में NHAI के वकील का जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा 'लोग बिना किसी काम के इतनी जल्दी घर से क्यों निकलते हैं?'
यह बयान उस समय आया जब अदालत में एक जनहित याचिका की सुनवाई हो रही थी और न्यायमूर्ति विवेक रूसिया एवं विनोद कुमार द्विवेदी ने केंद्र सरकार और NHAI को नोटिस जारी किया था.
जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते
कोर्ट ने NHAI को सितंबर 2024 तक डायवर्सन रोड बनाने का आदेश पहले ही दिया था, लेकिन अब तक सड़क का काम अधूरा पड़ा है. जब प्राधिकरण ने क्रशर यूनिट की 10 दिन की हड़ताल को देरी का कारण बताया, तो कोर्ट ने साफ कहा कि ' आपने खुद ही 3 से 4 महीने का समय मांगा था, अब बहाने क्यों?' कोर्ट ने NHAI, इंदौर पुलिस और प्रशासन को नोटिस देकर 7 जुलाई तक जवाब मांगा है.
लापरवाही या सिस्टम की असंवेदनशीलता?
सवाल यह है कि क्या एक सरकारी संस्था की लापरवाही इतनी बड़ी कीमत वसूल सकती है? जिन तीन लोगों की जान गई, क्या वे सिर्फ ‘जल्दी घर से निकले’ थे, जैसा कि NHAI का कहना है? जब जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वाली संस्था ही जवाबदेही से बचने की कोशिश करे, तो भरोसा कैसे कायम रहेगा?