IAS बनने का सपना, खुद को परिवार पर समझती थी बोझ, नवोदय स्कूल की छात्रा ने कर ली आत्महत्या
मध्य प्रदेश से एक खबर आ रही है, जहां पर एक क्लास 12 की छात्रा ने फांसी लगा ली. सीमा बिजौरा भील गांव के एक आदिवासी परिवार से थी. उसके माता-पिता गांव में खेती करते हैं. छात्रा बहुत होशियार थी, उसका सपना था कि वे IAS बने. छात्रा को उसके मन का विषय नहीं मिला क्योंकि उसके क्लास 10 में नंबर कम आए थे.

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना स्थित नवोदय स्कूल में 12वीं कक्षा की एक छात्रा, सीमा देवड़ा (18), ने हॉस्टल के बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. यह घटना तब सामने आई जब वह सुबह स्कूल जाने से पहले नहाने गई और काफी समय तक बाहर नहीं निकली. उसकी सहेलियों ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई उत्तर न मिलने पर उन्होंने हॉस्टल प्रबंधन को जानकारी दी. दरवाजा तोड़ने पर सीमा को फंदे से लटका पाया गया.
पुलिस को छात्रा के पास कोई सुसाइड नोट तो नहीं मिला, लेकिन उसकी एक कॉपी में उसने अपना दर्द जाहिर किया था. सीमा ने लिखा था कि अगर वह दसवीं में 90% अंक ला पाती, तो उसे मैथ्स और साइंस जैसे सब्जैक्ट मिल जाते. अच्छे नंबर न आने की वजह से उसे आर्ट्स लेना पड़ा, जिससे वह खुश नहीं थी.
परिवार के बारे में
सीमा बिजौरा भील गांव के एक आदिवासी परिवार से थी. उसके माता-पिता गांव में खेती करते हैं, जबकि सीमा अकेले रहकर पढ़ाई कर रही थी. 10वीं तक उसने बुरहानपुर में अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई की. अक्सर वह मामा के बच्चों से कहती थी, "तुम्हारे पापा और तुम मेरे कारण परेशान रहते हो. मामा कब तक मेरा खर्चा उठाएंगे?" आर्थिक दबाव और खुद को परिवार पर बोझ समझने की भावना ने उसके तनाव को और बढ़ा दिया.
स्कूल की प्रिंसिपल शर्मिला खान के अनुसार, सीमा पढ़ाई में होशियार थी और उसका सपना IAS अधिकारी बनने का था. हालांकि, दीपावली की छुट्टियों के दौरान जब वह अपने मामा के घर गई थी, उसके माता-पिता मिलने नहीं आए. इस बात ने उसे उदास कर दिया था.
क्या कहना है विशेषज्ञों का?
छात्रों पर करियर को लेकर बढ़ते दबाव और विषय चयन की मजबूरी से मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
माता-पिता और अभिभावकों की भावनात्मक दूरी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करती है.
समाज और परिवार की अपेक्षाएं कई बार छात्रों को उनकी क्षमता से अधिक तनाव में डाल देती हैं.
ऐसे मामलों से बचाव के लिए सुझाव
स्कूलों में काउंसलिंग सेवाओं का प्रावधान होना चाहिए ताकि छात्र अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें.
माता-पिता और बच्चों के बीच अच्छा रिश्ता होना जरूरी है.
छात्रों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार करियर विकल्प चुनने की आजादी मिलनी चाहिए.