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'पत्नी की मर्जी जरूरी', ये बोलकर रांची सिविल कोर्ट ने पति को माना दोषी

इन दिनों मैरिटल रेप यानी पत्नी के मर्जी के बिना उसके साथ जबरन संबंध बनाने का मामला को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है. इसी कड़ी में एक झारखड़ के रांची का में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें रांची सिविल कोर्ट ने पति को दोषी करार दिया है.

पत्नी की मर्जी जरूरी, ये बोलकर रांची सिविल कोर्ट ने पति को माना दोषी
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( Image Source:  Meta AI )
सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 11 Dec 2025 12:30 PM IST

झारखंड के रांची की एक स्थानीय कोर्ट ने एक व्यक्ति को पत्नी की इच्छा के खिलाफ उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में दोषी ठहराया गया है. जिसमें उसने अपनी पत्नी के विरोध के बावजूद बार-बार उसके साथ यौन संबंध बनाए. कोर्ट ने पत्नी के साथ उनके विरोध के बावजूद बार- बार सेक्सुअल रिलेशन बनाने के मामले में ट्रायल फेस कर रहे आरोपी रणधीर वर्मा को दोषी करार दिया है.

कोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया है. रणधीर वर्मा के खिलाफ उसकी पत्नी ने करीब 9 साल पहले रांची के एक अदालत में FIR दर्ज करवाई थी. मामले की सुनवाई के दौरान बयान और अन्य तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी माना है. साथ ही बता दें कि महिला ने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए एक सुखदेव नगर थाने में FIR दर्ज करवाया था. जिसके बाद मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला आना बाकी है.

कोर्ट ने भेज दिया पति को जेल

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह स्थिति स्पष्ट रूप से महिला की सहमति के खिलाफ है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. यह फैसला उन कानूनी बिंदुओं पर भी नजर डालता है. जो मैरिटल रेप के मामलों में मौजूद हैं इस फैसले ने केवल पीड़िता महिला को न्याय दिलाने का कार्य किया है बल्कि यह समाज में इस मुद्दे के प्रति जागरुकता बढ़ाने में भी सहायता करेगा.

SC में भी चल रहा मामला

इसके साथ ही बता दें कि मैरिटल रेप के मामले में कर्नाटक और दिल्ली कोर्ट के दो फैसलों पर कानून बहस छिड़ी है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट कर पहुंचा है. कई जनहित याचिकाएं इस मामले में दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को एक साथ मर्ज करके सुनवाई का निर्णय लिया है. 24 सितंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच में इसकी सुनवाई होनी थी, लेकिन केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा.

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