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गोइलकेरा जंगल में चला सुरक्षाबलों का कहर, माओवादी कमांडर वरुण उर्फ निलेश मड़काम ढेर; SLR राइफल और कारतूस बरामद

झारखंड के चाईबासा में सुरक्षा बलों और पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में माओवादी एरिया कमांडर अरुण उर्फ वरुण उर्फ निलेश मड़काम मुठभेड़ में मारा गया. गोइलकेरा जंगल में माओवादियों की मौजूदगी की सूचना पर CRPF की कोबरा 209 बटालियन और पुलिस ने कार्रवाई की, जिसमें एक SLR राइफल, कारतूस और अन्य सामान बरामद हुए. वहीं, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों से मुठभेड़ में दो DRG जवान घायल हुए, जिन्हें इलाज के लिए रायपुर भेजा गया

गोइलकेरा जंगल में चला सुरक्षाबलों का कहर, माओवादी कमांडर वरुण उर्फ निलेश मड़काम ढेर; SLR राइफल और कारतूस बरामद
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( Image Source:  ANI )

Maoist Arun alias Varun alias Nilesh Madkam encounter: झारखंड और छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस के मुताबिक, बुधवार को झारखंड की चाईबासा पुलिस और सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई में माओवादी एरिया कमांडर अरुण उर्फ वरुण उर्फ निलेश मडकाम को मुठभेड़ में मार गिराया गया. ऑपरेशन की अगुवाई आईजी (ऑपरेशन) माइकल राज एस ने की.

माइकल राज एस को गोइलकेरा जंगल इलाके में माओवादियों की मौजूदगी की पुख्ता सूचना मिली थी, जिसके बाद कोबरा 209 बटालियन (CRPF की स्पेशल यूनिट) के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया. मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने एक SLR राइफल, कारतूस और अन्य सामान बरामद किया.

बीजापुर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में DRG के दो जवान घायल

वहीं, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सोमवार को शुरू हुए अभियान में जिला रिजर्व गार्ड (DRG) के दो जवान नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में घायल हुए. उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए रायपुर भेजा गया है. पुलिस का कहना है कि इस मुठभेड़ में कई नक्सली भी घायल हुए हो सकते हैं.

बीजापुर में मुठभेड़ के दौरान एक नक्सली ढेर

बीते सप्ताह भी बीजापुर जिले के पश्चिमी डिवीजन में सुरक्षा बलों ने एक नक्सली को मार गिराया था और उसके पास से हथियार व गोला-बारूद बरामद किया था. वहीं, 30 जुलाई को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में भी एक नक्सली को मुठभेड़ में ढेर किया गया था.

1967 में हुई नक्सल आंदोलन की शुरुआत

नक्सल आंदोलन की शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से हुई थी, जहां किसानों के अधिकार और भूमि सुधार की मांग करते हुए हथियारबंद विद्रोह शुरू हुआ. समय के साथ यह आंदोलन झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों में फैल गया. माओवादी संगठन, जिनमें CPI (Maoist) प्रमुख है, का उद्देश्य भारत में सशस्त्र क्रांति के जरिए 'जन सरकार' स्थापित करना है. ये जंगलों और कठिन इलाकों में ठिकाने बनाकर पुलिस, अर्धसैनिक बलों, सरकारी संस्थानों और विकास कार्यों को निशाना बनाते हैं. सरकार ने इनसे निपटने के लिए 'ऑपरेशन ग्रीन हंट' और कई राज्य-स्तरीय अभियानों की शुरुआत की. इसमें CRPF, कोबरा कमांडो, DRG (District Reserve Guard), STF और राज्य पुलिस शामिल होती है.

चाईबासा, गोइलकेरा (झारखंड) और बस्तर डिवीजन (छत्तीसगढ़) नक्सल प्रभावित 'रेड कॉरिडोर' का हिस्सा हैं, जहां आए दिन मुठभेड़ और सर्च ऑपरेशन होते रहते हैं. इस इलाके में नक्सलियों के पास भारी मात्रा में हथियार और ग्रामीण नेटवर्क होता है, जिससे इनका सफाया चुनौतीपूर्ण होता है.

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