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ताहिर हुसैन कौन? दिल्‍ली दंगों के आरोपी को ओवैसी की पार्टी AIMIM से टिकट

Delhi Assembly Elections 2025: MSD पार्षद ताहिर हुसैन AMIMIM में शामिल हो गए और आने वाले समय में दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार होंगे.

ताहिर हुसैन कौन? दिल्‍ली दंगों के आरोपी को ओवैसी की पार्टी AIMIM से टिकट
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Tahir Hussain
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 10 Dec 2024 1:21 PM IST

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली दंगों का आरोपी ताहिर हुसैन को असदुद्दीन ओवैसी का साथ मिला है, जो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) की टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले हैं. फिलहाल, ताहिर जेल में बंद हैं. दिल्ली दंगे में नाम सामने आने के बाद आप ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था.

ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, 'MCD पार्षद ताहिर हुसैन AIMIM में शामिल हो गए हैं और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार होंगे. उनके परिवार के सदस्य और समर्थक आज मुझसे मिले और पार्टी में शामिल हुए.'

कौन है ताहिर हुसैन?

दिल्ली दंगे के समय जो नाम सबसे अधिक चर्चित हुआ, वो था ताहिर हुसैन. इन दिल्ली दंगे का मास्टरमाइंड होने का आरोप है, जिसके लिए वो अब तक जेल में हैं. जब 2020 में ये दंगा हुआ था, तो वो आम आदमी पार्टी (AAP) के पार्षद थे.

ताहिर हुसैन इससे पहले AAP के टिकट पर नेहरू नगर वार्ड से पार्षद चुने गए थे. नवंबर में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि दोनों FIR से मिले सबूतों से पता चलता है कि दंगाइयों ने पहले पार्किंग क्षेत्र में तोड़फोड़ की, वाहनों में आग लगाई और बाद में इमारत की पहली मंजिल पर चले गए, जहां एक शादी के लिए खाना बनाया जा रहा था.

ईडी ने ताहिर हुसैन पर लगाए आरोप

ईडी की शिकायत के मुताबिक, हुसैन ने फर्जी बिलों के बल पर फर्जी एंट्री ऑपरेटरों के जरिए अपने स्वामित्व वाली या नियंत्रित कंपनियों के बैंक खातों से धोखाधड़ी से पैसे निकाले थे. ईडी की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि हुसैन धन शोधन के अंतिम लाभार्थी थे और आपराधिक साजिश के माध्यम से प्राप्त धन का उपयोग फरवरी 2020 में दंगों के दौरान किया गया था.

अप्रैल 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 नवंबर 2022 मामले में उनके खिलाफ मनी लॉंड्रिंग के आरोप तय करने को चुनौती देने वाली हुसैन की याचिका को खारिज कर दिया था. इसने माना था कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में कोई कमी नहीं थी, जिसमें कहा गया था कि PMLA के तहत हुसैन के खिलाफ प्राइम फेस मामला बनता है.

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