केजरीवाल कैसे बन पाएंगे चौथी बार दिल्ली के सीएम, ईडी के एक्शन से होगी मुश्किल; क्या कहते हैं नियम?
अरविंद केजरीवाल अगर चौथी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, तो उन्हें कई कानूनी, राजनीतिक और संवैधानिक पहलुओं का सामना करना होगा. बता दें, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति गृह मंत्रालय ने ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दी है.

जैसे जैसे दिल्ली चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. गृह मंत्रालय ने अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. अब ईडी आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोनों पर कार्रवाई कर सकता है. यह मंजूरी तब दी गई जब वो नई दिल्ली विधानसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल करने वाले थे.
अरविंद केजरीवाल अगर चौथी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, तो उन्हें कई कानूनी, राजनीतिक और संवैधानिक पहलुओं का सामना करना होगा. बता दें, अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति गृह मंत्रालय ने ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दी है. इससे पहले, दिल्ली की पीएमएलए अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर ईडी को रोक लगा दी थी. इसके बाद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था और तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट ने बिना आवश्यक मंजूरी के चार्जशीट पर संज्ञान लिया है. अब ईडी कार्रवाई करने के लिए तैयार है.
दिल्ली चुनाव पर क्या होगा असर?
बताया जाता है कि विशेष अदालत 30 जनवरी को इस मामले की सुनवाई कर सकती है. ईडी द्वारा अपेक्षित दस्तावेज पेश करने के बाद आरोप तय किए जाने पर जोर दिया जा सकता है. अगर आरोप तय होते हैं, तो केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. केजरीवाल को पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, जबकि सिसोदिया को एक महीने पहले राहत दी गई थी.
क्या केजरीवाल फिर बन पाएंगे सीएम?
कानूनी रूप से मुकदमे के दौरान केजरीवाल का मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. जमानत की शर्तों के तहत, उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) या सचिवालय जाने की अनुमति नहीं थी. इसके साथ ही, किसी भी सरकारी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने पर भी रोक लगी हुई थी. मुकदमे की प्रक्रिया में देरी AAP को जमानत शर्तों में संशोधन का अनुरोध करने का अवसर दे सकती है. यह तभी संभव होगा जब पार्टी फरवरी 2025 में चुनाव में बहुमत हासिल कर ले. अभी अगर मुकदमा शुरू होता है तो बीजेपी चुनाव प्रचार के आखिरी चरण में आप के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने की कोशिश करेगी.
क्या कहता है कानून?
जब तक केजरीवाल को किसी अदालत द्वारा दोषी नहीं ठहराया जाता और सजा नहीं सुनाई जाती, तब तक वह चुनाव लड़ने और मुख्यमंत्री बनने के लिए अयोग्य नहीं माने जाएंगे. भारतीय संविधान के अनुसार, केवल सजा होने पर ही कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने से रोक सकता है. यह नियम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत आता है.