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Exit Polls अगर सच साबित हुए, तो 5 चीजें जो 'AAP' की हार का बन सकती हैं कारण

Delhi exit poll 2025: अगर एग्जिट पोल पर भरोसा किया जाए तो दिल्ली में भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिल रही है और वह आम आदमी पार्टी (AAP) इसमें पीछे रह सकती है. अगर चुनाव परिणाम वैसे ही आए जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा है तो 5 मुख्य कारण होंगे जो बीजेपी के लिए कारगर और आप के खिलाफ हो सकते हैं.

Exit Polls अगर सच साबित हुए, तो 5 चीजें जो AAP की हार का बन सकती हैं कारण
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Delhi exit poll 2025
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 6 Feb 2025 9:29 AM IST

Delhi exit poll 2025: वोटिंग के बाद आ रहे अलग-अलग एग्जिट पो पर ध्यान दें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव में रुझान स्पष्ट दिख रहा है. बीजेपी को भारी बढ़त मिल रही और आम आदमी पार्टी (AAP) पिछड़ती दिख रही. अधिकांश एग्जिट पोल की बात करें तो बीजेपी के 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौटने की बड़ी संभावना दिख रही है.

क्या कह रहे अलग-अलग एग्जिट पोल?

पीपुल्स पल्स ने भविष्यवाणी की है कि बीजेपी 51 से 60 सीटें जीत सकती है. इसने कहा कि आप 10 से 19 सीटें जीत सकती है. वहीं पीमार्क ने बीजेपी को 39-49 सीटें और आप को 21 से 31 सीटों की भविष्यवाणी की है. टाइम्स नाउ जेवीसी ने 39-45 सीटें और आप को 22 से 31 के बीच मिलने का अनुमान लगाया है. मैट्रिज ने बीजेपी को 35 से 40 सीटें दी तो आप 32-37 सीटें जीत सकती है. पांच एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी 39 सीटें जीत सकती है, जबकि आप 30 सीटों पर सिमट सकती है.

एग्जिट पोल सच हुआ तो ये 5 बड़े कारण, जो BJP को फायदा और AAP को पहुंचा सकती नुकसान-

1. अधूरे वादे और यमुना पर दावा

आम आदमी पार्टी कई वादों पर सवार होकर दिल्ली की दो-दो बार आई, लेकिन यमुना सफाई समेत वादे खाक साबित हो गए. मुफ़्त सुविधाओं के अलावा दिल्ली में ज़्यादा विकास के काम नहीं हुए. दिल्ली के स्कूलों में सुधार वाला जादू भी इस बार नहीं चलता दिखा. आप ने 2015 में शहर के सभी इलाकों में पाइप से पानी पहुंचाने का वादा किया था, लेकिन आज तक वह वादा पूरा नहीं हुआ.

दिल्ली में प्रदूषणमुक्त, पूर्ण राज्य का दर्जा और 20 लाख नौकरियां जैसे कई मु्द्दे हैं, जिसे पूरा करने में आप सरकार नाकाम रही. ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली के लोगों ने सोचा होगा कि 'आप' को परखने के लिए दो कार्यकाल काफी हैं और अब उसे खाली चेक देने का समय आ गया है, जो बाउंस हो जाएगा, यानी कि सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगा. इन मुद्दों के सीढ़ी बनाकर बीजेपी अपनी राह आसान बनाती दिख रही.

2. अरविंद केजरीवाल ब्रांड को तगड़ा झटका

'आप' की स्थापना और सीएम बनने का सीलसीला अरविंद केजरीवाल को एक ब्रांड बना दिया था. शुरूआत में कुर्ता या नेहरू जैकेट पहने केजरीवाल ने जनता के बीच अपनी छवी आम राजनेताओं जैसी बनाई थी, लेकिन लगातार भ्रष्टाचार के आरोप और उनका जेल जाना, उनकी छवि को नुकसान पहुंचाता रहा. 'शीशमहल' विवाद ने भी जनता में उन्हें लेकर खटास पैदा किया. बीजेपी लगातार इन मुद्दों को अपनी जीत का रास्ता बनाती रही, जिसमें वह सफल होती भी दिख रही है.

3. 'AAP' से मिडिल क्लास की दूरी और PM Modi का जादू

दिल्ली एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मिडिल क्लास के वोटर्स की सरकार बनाने में अहम भूमिका होती है. यहां के 67 प्रतिशत परिवार मिडिल क्लास के हैं. आप की मुफ्त योजनाओं ने झुग्गी-झोपड़ियों और जे.जे. क्लस्टरों में वोटर्स को लुभाने में भले ही सफलता हासिल की हो, लेकिन मिडिल क्लास इस बात से चिंतित है कि उसके टैक्स के पैसे का इस्तेमाल इन योजनाओं पर किया जा रहा. केजरीवाल की नई दिल्ली सहित कई सीटों पर भी बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी हैं. यहां आप की मिडिल क्लास की दूरी बनती गई. चुनाव में वोटिंग से 48 घंटे पहले बजट में 12लाख तक की आय को टैक्स को फ्री करना बीजेपी एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक था.

4. 'आप' के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर

पिछले 10 से अधिक सालों से दिल्ली की सत्ता पर आप है, जिसे लेकर इस कार्यकाल में सत्ता विरोधी लहर देखने को मिली, जिसका ताना बाना बीजेपी ने बुना. बीजेपी इसमें काफी हद तक सफल भी होती दिख रही. 10 सालों में AAP की चमक फीकी पड़ने का फायदा उठाने की कोशिश बीजेपी ने पूरी तरह से की है. व्यापारियों और मिडिल क्लास के बीच ग्राउंड पर भी 'आप' को लेकर खिलाफत दिखी, जिसका असर चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकता है.

5. विपक्ष में एकजुटता की कमी और वोटों का विभाजन

बीजेपी के खिलाफ 2024 का लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने के बाद 'आप' और कांग्रेस ने कुछ ही महीनों बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसका नुकसान पहले हरियाणा और अब दिल्ली में देखने को मिल सकता है. बिखरे हुए विपक्ष में कांग्रेस ही आप की एकमात्र चुनौती नहीं है. कई अन्य पार्टियां भी मैदान में उतर आई हैं, जो 'आप' को नुकसान पहुंचा सकती हैं. मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा है, जबकि वाम दल ने आधा दर्जन सीटों पर उम्मीदवार उतारे. असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में 'आप' के वोट शेयर में सेंध लगा सकती है. विपक्ष के वोट कई दलों में बंट जाने के कारण दिल्ली में चुनाव का परिणाम बदलता दिख रहा. बिखड़े विपक्ष के कारण भले ही उनके वोटर्स का बीजेपी को वोट नहीं पड़े होंगे, लेकिन आप का वोट काट कर बीजेपी को खूब फायदा पहुंचाने का काम किया है.

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