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दिल्ली यूनिवर्सिटी फार्म में इस शब्द को गायब करके मुस्लिम को बना दिया मातृभाषा! जमकर हुआ बवाल

दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंडरग्रैजुएट एडमिशन फॉर्म में ‘उर्दू’ को हटाकर ‘मुस्लिम’ को मातृभाषा के रूप में दिखाए जाने पर विवाद छिड़ गया है. शिक्षकों ने इसे इस्लामोफोबिक सोच बताया, जबकि DU प्रशासन ने इसे तकनीकी गलती बताया. प्रोफेसर्स का कहना है कि ये चूक नहीं, सांप्रदायिक मानसिकता का संकेत है, जिसे तुरंत सुधारा जाना चाहिए.

दिल्ली यूनिवर्सिटी फार्म में इस शब्द को गायब करके मुस्लिम को बना दिया मातृभाषा! जमकर हुआ बवाल
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 22 Jun 2025 3:59 PM

दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) एक बार फिर विवादों के घेरे में है. इस बार मामला अंडरग्रैजुएट एडमिशन फॉर्म में मातृभाषा के चयन से जुड़ा है, जहां छात्रों को 'उर्दू' चुनने का विकल्प नहीं मिला, बल्कि उसकी जगह 'मुस्लिम' को मातृभाषा के रूप में दिखाया गया. इस गंभीर त्रुटि को लेकर शिक्षकों और सामाजिक संगठनों में रोष है. कई प्रोफेसरों ने इसे इस्लामोफोबिक सोच का परिणाम बताया है.

हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे तकनीकी गलती बताया और कहा कि अब इसे ठीक कर लिया गया है, लेकिन शिक्षकों और छात्रों का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ है. उनका कहना है कि इस तरह की लापरवाही एक साझा सांस्कृतिक विरासत के अपमान का संकेत है.

'मातृभाषा' के नाम पर सांप्रदायिक सोच?

डेमोक्रेटिक टीचर्स फेडरेशन की सेक्रेटरी और मिरांडा हाउस की शिक्षिका आभा देब हबीब ने इस मुद्दे को बेहद गंभीर बताया. उन्होंने कहा, मातृभाषा के सेक्शन में उर्दू को पूरी तरह से हटा दिया गया है और ‘मुस्लिम’ को भाषा के तौर पर दर्ज किया गया है. क्या DU को यह समझ नहीं कि मुसलमान भी अपने क्षेत्र के अन्य लोगों की तरह ही भाषा बोलते हैं?” उन्होंने इसे “स्पष्ट रूप से इस्लामोफोबिक सोच” करार दिया और कहा कि यह एक सुनियोजित प्रयास है, जिसमें धर्म और भाषा को जानबूझकर जोड़ा गया.

'बिहारी' और जातियों के नाम भी भाषा सूची में!

ड्रॉपडाउन मेन्यू में केवल उर्दू ही नहीं, बल्कि 'बिहारी' और कुछ जातियों के नाम भी मातृभाषा के विकल्पों में नजर आए, जिस पर भी शिक्षकों ने नाराज़गी जाहिर की है. उनका कहना है कि यह केवल एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि भाषा और समुदायों की गलत पहचान है.

विश्वविद्यालय की छवि पर गंभीर असर

DU एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य मिथुराज धूसिया ने कहा, 'यह बेहद शर्मनाक है कि भारत की एक प्रतिष्ठित केंद्रीय यूनिवर्सिटी ऐसी भूल कर रही है. इसे तुरंत सुधारा जाना चाहिए. हमारी सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का सम्मान होना चाहिए. वहीं किरोड़ीमल कॉलेज के असोसिएट प्रोफेसर रुद्राशीष चक्रवर्ती ने इसे एक “सांप्रदायिक मंशा से प्रेरित योजना” बताया. उन्होंने कहा कि उर्दू को हटाना केवल एक भाषा को हटाना नहीं है, यह उस पूरी संस्कृति और साहित्यिक विरासत को मिटाने का प्रयास है जो उर्दू ने बनाई है.

DU का बचाव: “सिर्फ टेक्निकल गलती थी”

DU प्रशासन ने पूरे विवाद पर सफाई दी है. यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने कहा कि यह तकनीकी त्रुटि थी और उसे तुरंत ठीक कर लिया गया है. “यह जानबूझकर नहीं हुआ, बल्कि एक कोडिंग एरर थी, जिसेदिल्ली यूनिवर्सिटी फार्म में इस शब्द को गायब करके मुस्लिम को बना दिया मातृभाषा! जमकर हुआ बवाल

ठीक कर दिया गया है. हालांकि आलोचकों का कहना है कि इतने संवेदनशील क्षेत्र में इतनी बड़ी चूक यूं ही नहीं हो सकती और DU को इस पर सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए.

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