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DU में नहीं पढ़ाए जाएंगे पाकिस्तान, चीन और इस्लाम से जुड़े टॉपिक, जानें कब-कब हुए सिलेबस में बदलाव

दिल्ली विश्वविद्यालय ने एमए राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से पाकिस्तान, चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा जैसे अध्याय हटाए. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि यह बदलाव सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखकर किया गया, जबकि शिक्षकों ने इसे भू-राजनीतिक समझ और अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला बताया. एक जुलाई को स्थायी समिति इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार करेगी.

DU में नहीं पढ़ाए जाएंगे पाकिस्तान, चीन और इस्लाम से जुड़े टॉपिक, जानें कब-कब हुए सिलेबस में बदलाव
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 26 Jun 2025 10:30 AM

दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने एमए राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से पाकिस्तान, चीन, इस्लाम और राजनीतिक हिंसा से जुड़े महत्वपूर्ण अध्यायों को हटाने का निर्णय लिया है। इनमें ‘पाकिस्तान और विश्व’, ‘धार्मिक राष्ट्रवाद’, ‘राजनीतिक हिंसा’ और ‘चीन की समकालीन भूमिका’ जैसे विषय शामिल हैं। यह निर्णय डीयू की स्थाई समिति की बैठक में लिया गया और इसका विरोध भी सामने आया है।

डीयू के कुलपति योगेश सिंह के अनुसार, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद विभागाध्यक्षों को पाकिस्तान के कथित महिमामंडन को हटाने के निर्देश दिए गए थे. यह निर्णय सुरक्षा भावना और राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनज़र लिया गया.

शिक्षकों ने किया विरोध

राजनीति विज्ञान के कई शिक्षकों ने पाठ्यक्रम में इस बदलाव का कड़ा विरोध किया है. उनका कहना है कि पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों की नीतियों को समझना भारत की रणनीतिक दृष्टिकोण के लिए आवश्यक है. इससे छात्रों की भू-राजनीतिक समझ कमजोर होगी.

जुलाई में प्रस्तावित है नई सिलेबस समीक्षा बैठक

स्थायी समिति की सदस्य डॉ. मोनामी सिन्हा ने जानकारी दी कि एनडीटीएफ (राष्ट्रीय शिक्षक संगठन) से जुड़े सदस्यों की आपत्ति के बाद यह बदलाव किया गया है. अब एक जुलाई को स्थाई समिति की अगली बैठक में नए पाठ्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की जाएगी.

कब कब सिलेबस में हुए बदलाव?

  • 2004: इतिहास में सांप्रदायिकता पर फोकस

बीए इतिहास पाठ्यक्रम में "कम्युनलिज़्म इन मॉडर्न इंडिया" जोड़ा गया. इसमें सांप्रदायिक राजनीति और विभाजन जैसे विषयों पर अध्ययन किया गया, जिसे कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने एकतरफा बताया.

  • 2019: इतिहास पाठ्यक्रम में सावरकर और बोस

बीए इतिहास (ऑनर्स) में सावरकर और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं पर पाठ जोड़े गए, जबकि मुगल दरबार जैसे टॉपिक हटाए गए. इससे "इतिहास के भगवाकरण" पर विवाद हुआ.

  • 2022: पॉलिटिकल साइंस से गांधी-हिंदुत्व टॉपिक हटा

बीए राजनीति विज्ञान में "महात्मा गांधी और हिंदुत्व विचारधारा" जैसे विषय हटाए गए. विपक्षी शिक्षकों ने इसे अकादमिक सेंसरशिप बताया.

  • 2023: NEP 2020 के तहत सिलेबस का कायाकल्प

नई शिक्षा नीति (NEP) लागू करते हुए स्नातक पाठ्यक्रमों में स्किल-बेस्ड, मल्टीडिसिप्लिनरी और क्रेडिट-बेस्ड संरचना लाई गई. सिलेबस को वैश्विक दृष्टिकोण से दोबारा डिज़ाइन किया गया.

  • 2024: एमए से पाकिस्तान और इस्लाम विषय हटे

जून 2024 में एमए पॉलिटिकल साइंस पाठ्यक्रम से "पाकिस्तान: राज्य और समाज", "इस्लाम और अंतरराष्ट्रीय संबंध" जैसे विषय हटाए गए. प्रशासन ने इसे भारत-केंद्रित बनाने की दलील दी, जबकि प्रोफेसरों ने आलोचना की.

चीन और पाकिस्तान का टॉपिक हटाना भूल

डॉ. मोनामी सिन्हा ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान को पाठ्यक्रम से हटाना अकादमिक रूप से गलत कदम है. उन्होंने तर्क दिया कि भारत की विदेश नीति की निरंतर चुनौतियों में पाकिस्तान की भूमिका अहम है, जिसे छात्रों को समझना चाहिए. सिन्हा ने कहा कि चीन वैश्विक दक्षिण का उभरता नेतृत्वकर्ता है और उसकी भूमिका को नजरअंदाज़ करना मूर्खता होगी. बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में चीन को समझना भारत के लिए एक आवश्यक रणनीतिक अभ्यास है.

समाजशास्त्र और भूगोल में भी बदलाव

राजनीति विज्ञान के साथ-साथ समाजशास्त्र और भूगोल पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किए गए हैं. समाजशास्त्र में केवल मार्क्स, वेबर, दुर्खीम को शामिल करने पर आपत्ति जताई गई और भारतीय विचारकों को जोड़ने की मांग उठी. चर्च पर आधारित कंटेंट के बजाय भारतीय पूजा पद्धतियों को शामिल करने का सुझाव दिया गया.

शिक्षकों ने जताई अकादमिक स्वतंत्रता पर चिंता

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) की सचिव आभा देव और अकादमिक परिषद सदस्य मिथुराज धुसिया ने इन बदलावों की आलोचना करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में विचारधारा की घुसपैठ हो रही है. धुसिया ने कहा कि असहज करने वाले सवालों को हटाने के बजाय उनसे संवाद की ज़रूरत है, ताकि छात्र नई वैश्विक व्यवस्था को समझ सकें.

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