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कौन हैं GN साईबाबा? शक के आधार पर काटे जेल में 10 साल; बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली थी रिहाई

दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर GN साईबाबा का शनिवार रात निधन हो गया. इलाज के दौरान उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. GN साईबाबा को इस साल मार्च में बॉम्बे हाईकोर्ट से 10 साल के बाद जाकर बरी किया गया था.

कौन हैं GN साईबाबा? शक के आधार पर काटे जेल में 10 साल; बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली थी रिहाई
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( Image Source:  Social Media: X )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 13 Oct 2024 11:15 AM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर GN साईबाबा का शनिवार शाम 8 बजकर 36 मिनट पर निज़ाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के अस्पताल में निधन हो गया. अस्पताल के डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि की है. वहीं मिली जानकारी के अनुसार बीते हफ्ते पहले उन्होंने अपने गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) की सर्जरी करवाई थी. इस सर्जरी के बाद उन्हें कई जटिलताओं का सामना करना पड़ा.

इन जटिलताओं से जूझ रहे पूर्व प्रोफेसर को शुक्रवार की शाम को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. जहां उन्हें ICU में शिफ्ट कर दिया गया था. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. बता दें कि 57 वर्ष की उम्र में GN साईबाबा ने अंतिम सांस ली.

कौन हैं GN साईबाबा?

अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन हैं गोकरकोंडा नागा साईबाबा यानी (GN Saibaba) तो बता दें कि वो दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी के प्रोफेसर थे. दिल्ली की राम लाल आनंद कॉलेज में उन्होंने साल 2003 में प्रोफेसर के रूप में ज्वॉइन किया था. लेकिन कुछ ही समय के बाद उन्हें कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था. वहीं साल 2014 में उन्हें महाराष्ट्र पुलिस द्वारा माओवादियों के साथ जुड़े कनेक्शन के शक में गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से वह नागपुर की सेंट्रल जेल में कैद थे.

इस साल मिली थी रिहाई

माओवादियों से तार जुड़ने के मामले में नागुर की सेंट्रल जेल में कैद प्रोफेसर GN साईबाबा को इसी साल 2024 मार्च में बरी कर दिया गया था. उन्हें बॉम्बे के हाई कोर्ट की ओर से रिहाई मिली थी. इस रिहाई के बाद वह 8 मार्च को दिल्ली अपने आवास पर वापसी लौटे थे. जहां उन्होंने अपने सभी करीबियों को ह्यूमन राइट कमीशन को भी उन्हें धन्यवाद दिया था. वहीं इस पर उन्होंने कहा था कि मेरे साथ क्रूरता हुई", बीते दिनों को याद कर नम हुई आंखें.

अग्नि परीक्षा का करना पड़ा सामना

वहीं जेल से रिहा होने के बाद प्रोफेसर अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के सुरजीव भवन में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बड़े ही भावुक मन से अपनी इस तकलीफ को जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह माता सीता को अपनी बोगुनाही को साबित करने के लिए अग्निपरीक्षा का सामना करना पड़ा था. ठीक उसी तरह उन्हें भी इसका अनुभव हुआ है. उन्होंने कहा कि शक के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था. मां सीता के साथ भी ऐसा हुआ था. भगवान राम पर लोगों ने शक किया था. लेकिन बाद में जब सच्चाई सामने आई तो वह बेबुनियाद निकला. इस अनुभव को मैंने भी महसूस किया है. मैंने भी गिरफ्तारी की प्रताड़ना के 10 साल झेले हैं. इन 10 सालों में मेरे साथ जो क्रूरता हुई मैं उन्हें नहीं भूल सकता.

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