वर्ल्ड क्लास स्कूल से 'क्लास रूम स्कैम' तक! आप नेता सिसोदिया-सत्येंद्र जैन पर लगे ₹2000 करोड़ के घोटाले के आरोपों का काला चिट्ठा
Delhi Classroom Scam: दिल्ली में सरकारी स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लासेस के निर्माण को लेकर बड़े पैमाने पर पैसों के हेरफेर का आरोप सामने आया है. 2019 में बीजेपी नेताओं कपिल मिश्रा, हरीश खुराना और नीलकंठ बक्शी ने आरोप लगाया कि सरकार ने प्रति क्लास ₹28 लाख खर्च दिखाया, जबकि सामान्य खर्च ₹5 लाख होना चाहिए था. परियोजना 34 ठेकेदारों को दी गई, जिनमें से अधिकतर का संबंध आम आदमी पार्टी से होने का दावा किया गया है.

Delhi Classroom Scam: आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर थी और पूरी दुनिया को चीख-चीखकर अपने वर्ल्ड क्लास स्कूल के बारे में बता रही थी... सरकार गई और इसी स्कूल से निकला एक जीन- वो है 'क्लास रूम स्कैम', जिसे लेकर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने आप नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ क्लास के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर FIR दर्ज की.
तो सवाल ये है कि अगर ये आरोप तथ्यात्मक तौर पर सही है तो ये वर्ल्ड क्लास स्कूल का झूठा दावा था? क्या इसकी नींव भ्रष्टाचार की ईंट और सीमेंट से पड़ी थी. दरअसल, सिसोदिया और जैन इसलिए इस घेरे में आ गए क्योंकि उनके पास वित्त और शिक्षा विभाग था, जबकि जैन के पास लोक निर्माण विभाग का प्रभार था, जो निर्माण कार्य की देखरेख करने वाली एजेंसी थी. तो इसलिए अब लगे इन आरोपों का जवाब भी ACB को इन्हें ही देना होगा.
क्या है दिल्ली का क्लास रूम स्कैम?
अधिकारियों ने बताया कि कथित घोटाला आप सरकार के कार्यकाल के दौरान 12,748 क्लासेज और सेमी-परमानेंट स्ट्रक्चर के निर्माण से संबंधित है. ACB चीफमधुर वर्मा ने कहा, केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के मुख्य तकनीकी परीक्षक की रिपोर्ट में परियोजना में कई गड़बड़ियां बताई गई थीं और रिपोर्ट को करीब तीन साल तक दबाए रखा गया. ये मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत दर्ज किया गया है.'
अधिकारियों ने बताया कि कथित तौर पर यह परियोजना AAP से जुड़े कुछ ठेकेदारों को दी गई थी और इसमें कई डेविएशन और लागत में वृद्धि देखी गई. उन्होंने कहा कि परियोजना के लिए सलाहकार और वास्तुकार को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किया गया था और उनके माध्यम से लागत में वृद्धि की गई थी.
शिकायत में क्या कहा गया है?
दिल्ली सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में एक्सट्रा क्लासेज के निर्माण में बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी के आरोप सामने आए हैं. इस संबंध में 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तीन नेताओं — कपिल मिश्रा, हरीश खुराना और नीलकंठ बक्शी — ने शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि क्लासेज के निर्माण पर वास्तविक लागत से कहीं अधिक खर्च दिखाया गया है.
₹28 लाख प्रति क्लास रूम का खर्च, जबकि सामान्य खर्च ₹5 लाख!
शिकायत के अनुसार, दिल्ली के 23, 24 और 28 ज़ोन में क्लास रूम के निर्माण पर प्रति क्लास ₹28 लाख खर्च किए गए, जबकि आमतौर पर एक क्लास रूम बनाने में केवल ₹5 लाख का खर्च आता है. टेंडर के अनुसार, प्रति क्लास रूम औसतन ₹24.86 लाख की लागत स्वीकृत की गई, जो कई गुना अधिक है.
AAP से जुड़े ठेकेदारों को लाभ?
BJP नेताओं का आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को कुल 34 ठेकेदारों को सौंपा गया, जिनमें से अधिकांश का कथित संबंध आप पार्टी से है. इसलिए इससे प्रोजेक्ट में पक्षपात और भ्रष्टाचार की आशंका और भी मजबूत होती है.
प्रोजेक्ट की समय सीमा और लागत में भारी चूक
फाइनेंसियल ईयर 2015-16 के दौरान आयोजित Expenditure Finance Committee की बैठकों में निर्णय लिया गया था कि यह निर्माण का काम जून 2016 तक पूरा कर लिया जाएगा और इसके बजट में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक न तो समय सीमा का पालन हुआ और न ही लागत नियंत्रित रही. भारी पैमाने पर देरी और लागत वृद्धि देखी गई.
CVC रिपोर्ट में गंभीर हेरफेर का जिक्र
17 फरवरी 2020 को मुख्य तकनीकी परीक्षक (Chief Technical Examiner), CVC द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में इस पूरे मामले की जांच के बाद कई गंभीर हेरफेर को उजागर किया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि निर्माण कार्यों में CPWD वर्क्स मैनुअल 2014, जनरल फाइनेंशियल रूल्स 2017 और CVC गाइडलाइंस का काफी उल्लंघन किया गया है.
टेंडर के बाद लिए गए निर्णयों पर भी सवाल
CVC की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि टेंडर होने के बाद लिए गए कई निर्णय तय दिशानिर्देशों के विरुद्ध थे, जिससे लागत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई और सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ.