केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ा रही दिल्ली सरकार, सीएम रेखा गुप्ता कराएगी बड़े निर्माण कार्यों की जांच
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने AAP सरकार के कार्यकाल में हुए 20 करोड़ से अधिक लागत वाले निर्माण कार्यों की जांच के आदेश दिए हैं. लोक निर्माण विभाग (PWD) की परियोजनाएं मुख्य जांच के दायरे में हैं. भ्रष्टाचार, देरी और बढ़ी हुई लागत की गहन समीक्षा होगी. दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Delhi में AAP सरकार के कार्यकाल में हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कड़ा फैसला लिया है. भाजपा सरकार उन सभी परियोजनाओं की समीक्षा करवाने जा रही है, जिनकी लागत 20 करोड़ से अधिक रही और जो तय समय सीमा से देरी से पूरी हुईं. इस कदम से निर्माण में हुई गड़बड़ियों को उजागर करने की संभावना जताई जा रही है.
इस जांच में यह देखा जाएगा कि देरी के लिए कौन जिम्मेदार था और क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई थी. यदि निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार पाया गया, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर गड़बड़ी सहन नहीं की जाएगी.
मुख्य रूप से लोक निर्माण विभाग (PWD) के कार्य इस जांच के दायरे में आएंगे. PWD राजधानी की सड़कों के निर्माण व रखरखाव, सरकारी इमारतों के निर्माण और नालों की सफाई का जिम्मा संभालता है. कई परियोजनाएं, जैसे फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर, इसी विभाग के अंतर्गत आती हैं.
दिल्ली का लोक निर्माण विभाग पहले भी कई बार विवादों में रह चुका है. भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं. कुछ मामलों की जांच पहले से ही सीबीआई, केंद्रीय सतर्कता आयोग और दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा की जा रही है.
शीशमहल के पुनर्निर्माण और सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण जैसी परियोजनाएं पहले से जांच के दायरे में है. इन मामलों में कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन कई बार जिम्मेदार लोग जांच से बच निकलते रहे. अब भाजपा सरकार पूरी पारदर्शिता लाने की योजना बना रही है. लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि परियोजनाओं में देरी और भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यदि किसी भी योजना में गड़बड़ी पाई जाती है, तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी.
सूत्रों के अनुसार, मंत्री ने हाल ही में उन सभी परियोजनाओं की रिपोर्ट मांगी है, जो बीते 10 वर्षों में पूरी हुईं लेकिन उनकी लागत अनुमान से अधिक बढ़ गई. सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि निर्माण कार्य पारदर्शी तरीके से किए जाएं और किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो.
भाजपा सरकार के इस फैसले को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है. AAP सरकार के कार्यों की जांच से आने वाले समय में दिल्ली की राजनीति गरमा सकती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि जांच के नतीजे क्या सामने आते हैं और क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ यह अभियान ठोस कार्रवाई में तब्दील होता है.