Delhi Election 2025: AAP और कांग्रेस के मुकाबले में भाजपा की रणनीति क्या होगी?
आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी मैदान में अकेले ही उतरने वाली है. पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाया था, लेकिन विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. कहा जा रहा है कि आप और कांग्रेस के गठबंधन न होने का भाजपा को फायदा हो सकता है.

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. अभी से ही दल-बदल और बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया है. इस बीच अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एलान किया कि वह चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी.
आम आदमी पार्टी चुनाव मैदान में अकेले ही उतरने वाली है. पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाया था, लेकिन विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर AAP चुनाव में अकेले उतरेगी तो इसका नतीजों पर क्या असर पड़ेगा? कहा जा रहा है कि आप और कांग्रेस के गठबंधन न होने का भाजपा को फायदा हो सकता है.
अकेले चुनाव लड़ेगी AAP
आगामी विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ने वाले हैं. लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो दोनों ने जब भी गठबंधन किया है तो 43.1 फीसदी का प्रभावशाली वोट शेयर हासिल किया था, दोनों पार्टियों ने समान वोट बैंक होने के बाद दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़े हैं. कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों का मुकाबला हरियाणा विधानसभा की तरह हो सकता है.
बीजेपी को होगा फायदा
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 फरवरी महीने में हो सकते हैं. हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेस-आप का 7 सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन नहीं हो पाया था. दोनों ने अकेले ही चुनाव लड़ा था, जिससे किसी एक को भी जीत हासिल नहीं हुई. ऐसा कहा जा रहा है कि अगर दिल्ली में भी दोनों अलग लड़ेंगे तो इसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को होगा. बीते कुछ दिनों में आप-कांग्रेस के कई स्थानीय दिग्गज नेता भाजपा में शामिल हुए हैं. दोनों के बीच के मतभेद से भाजपा अपने विरोधी वोटों के बंटने से फायदे में रह सकती है. बता दें कि बीजेपी भ्रष्टाचार, यमुना की सफाई, मुफ्त की रेवड़ी, वादों का पूरा नहीं होने जैसे कई मुद्दों पर आप सरकार को घेर रही है.
आंकड़ों से दिखती है साफ तस्वीर
साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का 25 फीसदी वोट शेयर था. 2015 में यह कम होकर 10 फीसदी रह गया और 2020 के चुनाव में 4.26 फीसदी आ गया था. इन वोटों का आकलन करें तो तस्वीर साफ नजर आती है कि मुकाबला बीजेपी और आप के बीच होने वाला है. AAP का 2013 में 29 फीसदी, 2015 में 54 फीसदी और 2020 में 53.57 फीसदी वोट शेयर रहा है. वहीं बीजेपी की बात करें तो 34 फीसदी, 32 फीसदी और 2020 में 38.51 फीसदी वोट शेयर रहा है.