दिल्ली ब्लास्ट में सबसे ज्यादा मरने वाले UP-बिहार के, जानें कौन हैं वे 8 लोग जिनकी हुई पहचान; 13 पहुंचा मौत का आंकड़ा
Delhi Blast Dead: दिल्ली में लाल किला के पास धमाके में मरने वालों की संख्या 13 तक पहुंच गई है. मरने वालों में सबसे ज्यादा दिल्ली के रहने वाले थे. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लोग धमाके में घायल हुए हैं. धमाका एक चलती कार में हुआ था, जिसने कई और कारों को अपनी चपेट में लिया था. इस मामले की एनआईए जांच कर रही है.
Delhi Blast Dead Story: दिल्ली सहित देश भर के लोगों के लिए सोमवार का दिन मनहूस साबित हुआ. हालांकि, उस दिन भी सुबह की शुरुआत आम दिनों की तरह हुई थी. सभी उठे और अपने-अपने कामकाज पर निकल गए. दिन भर काम कर लोग घर वापसी की सोच ही रहे थे कि शाम 6 बजकर 52 मिनट पर लाल किले के पास कार ब्लास्ट हो गया. कार का ब्लास्ट इतना जोरदार थी कि एक से दो किलोमीटर तक लोगों को सुनाई दी. मौके पर कोहराम मच गया. प्रत्यदर्शियों के मुताबिक चारों तरफ आग की लपटें दिखाई दे रही थी. इतने में स्थानीय लोग, दिल्ली पुलिस, रेड क्रॉस कर्मी राहत कार्य में जुट गई. जैसे तैसे सभी को पास के अस्पताल में भर्ती कराया.
इतना ही नहीं, इस घटना का समाचार सुनकर सभी अपने-अपने परिजनों की तलाश में लाल किला और लोक नायक जेपी अस्पताल पहुंचने लगे. अस्पताल में चारों तरह चीख पुकार मची थी. किसी को अपने को खोने का गम था, कोई अपनों को नहीं ढूंढ पाने के गम में गमगीन था. अफरातफरी में किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. जैसे तैसे पुलिस ने मृतकों और घायलों को इसकी सूचना दी. कुछ लोग तो अपनों की तलाश में खुद की वहां पहुंच गए थे.
ये भी पढ़ें :Delhi Blast: कौन हैं IPS विजय सखारे जिन्हें NIA की स्पेशल 10 टीम की मिली जिम्मेदारी?
फिलहाल इस हादसे में 13 लोगों की मौत हुई है. करीब 20 लोग घायल हैं. मरने वालों में से अभी तक आठ लोगों की पहचान हो पाई है. शेष मृतकों की अभी पहचान नहीं हुई है. लगभग 20 अन्य घायलों का अस्पताल में इलाज जारी है.
विस्फोट के कारणों की अभी भी जांच चल रही है. अधिकारियों ने अभी तक यह पता नहीं लगाया है कि यह किसी आतंकवादी गतिविधि से जुड़ा था या नहीं. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां घटना की जांच जारी रखते हुए सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही हैं. किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
दिल्ली पुलिस ने जिन आठ मृतकों की पुष्टि की है उनमें मोहम्मद जुम्मन, मोहसिन मलिक, दिनेश मिश्रा, लोकेश अग्रवाल, अशोक कुमार, नोमान, पंकज साहनी और अमर कटारिया शामिल हैं. जानें ये आठ मृतक कौन और कहां के रहने वाले थे.
1. मोहम्मद जुम्मन
मोहम्मद जुम्मन दिल्ली के लाल किला इलाके में ई-रिक्शा चलाते थे. जुम्मन का परिवार मूल रूप से बिहार का है. वह कई सालों से दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके रह रहा था. घर चलाने के लिए वह दिल्ली के लाल किले इलाके में ई-रिक्शा चलाया करते थे. घटना वाले दिन वह धमाके वाली जगह से थोड़ी ही दूरी पर मौजूद थे. उनके परिजनों ने जुम्मन के कपड़ों से उसकी पहचान की. जुम्मन की पत्नी और पांच बच्चे गहरे सदमे में हैं.
2. नोमान
नोमान दिल्ली धमाके के शिकार हो गए जबकि अमन अभी आईसीयू में हैं.नोमान शामली के झिंझाना कस्बे के रहने वाले थे. नोमान मात्र 22 साल के थे. वह यहां कॉस्मेटिक की एक दुकान चलाते थे. घटना वाली शाम अपनी दुकान के लिए ही कुछ सामान खरीदने वह दिल्ली पहुंचे थे. साथ में उनके भाई अमन भी मौजूद थे.
उनके परिजनों ने बीबीसी हिन्दी को बताया कि पार्किंग में कार खड़ी करने के बाद वह सड़क पार कर रहे थे, तभी धमाका हुआ और वह इसकी चपेट में आ गए. नोमान की मौके पर ही मौत हो गई. नोमान के परिजनों ने सरकार से आर्थिक मदद और घटना में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है.
3. मोहसिन
मोहसिन मूल रूप से मेरठ के रहने वाले थे लेकिन पिछले कुछ सालों से दिल्ली के सिविल लाइन्स में रह रहे थे. परिजनों ने बताया कि वह लाल किले के नजदीक के इलाकों में ई-रिक्शा चलाया करते थे. सोमवार शाम घटना वाली जगह से महज कुछ मीटर की दूरी पर खड़े थे. धमाके के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस को उनका फोन सड़क पर गिरा हुआ मिला. तलाश में पहुंचे परिजनों को पुलिस ने एलएनजेपी अस्पताल जाने की सलाह दी. उसी रात तकरीबन साढ़े बारह के अस्पताल के डॉक्टर ने मोहसिन की मौत की पुष्टि कर दी.
4. अमर कटारिया
34 साल के अमर कटारिया अपने परिवार के साथ दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में रहते थे. लाल किले में उनका अपना फार्मा का बिजनेस था. अमर के पिता जगदीश कटारिया के मुताबिक घटना के समय अमर घर के लिए ही निकला ही था, बाद में क्या हुआ, कैसे हुआ रब जाने. दस मिनट पहले ही वह फोन पर मुझसे बात कर रहा था. लेकिन फिर कुछ समय बाद जब हमने उससे संपर्क किया तो फोन के दूसरी तरफ एक महिला की आवाज़ सुनाई दी. वह एक पुलिसकर्मी थीं. उन्होंने ही हमें घटना की सूचना दी और कहा कि अमर का फोन उन्हें सड़क पर गिरा हुआ मिला था. महिला पुलिसकर्मी ने हमें एलएनजेपी अस्पताल जाने की सलाह दी.
अमर कटारिया के पिता के मुताबिक एलएनजेपी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर वह घंटों खड़े रहे लेकिन उन्हें अपने बेटे के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई. बाद में पता चला कि उसकी मौत हो गई है.
5. दिनेश मिश्रा
दिनेश मिश्रा उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले थे. वह 35 साल के थे. दिनेश मिश्रा दिल्ली के चावड़ी बाजार में शादी के कार्ड की दुकान पर काम करते थे. बीते 15 सालों से दिल्ली में ही रहकर गुजर-बसर कर रहे थे. उनकी पत्नी और तीन छोटे बच्चे हैं. दिनेश मिश्रा के भाई गुड्डू मिश्रा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ''मैं फोन के जरिए उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा था. रात आठ बजे कॉल की और फिर सवा ग्यारह बजे. दूसरी बार में किसी ने फोन उठाया और कहा कि मैं लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड आ जाऊं. वहां पहुंचने के बाद अंदर नहीं जाने दिया गया. सुबह तीन-साढ़े तीन बजे के करीब मोर्चरी हाउस जाने के लिए कहा गया. वहां अपने भाई की बॉडी मिली.
6. लोकेश अग्रवाल
दिल्ली धमाके में जान गंवाने वालों में लोकेश अग्रवाल अमरोहा के हसनपुर में एक छोटी खाद की दुकान चलाते थे. उनकी उम्र 55 साल थी. उनके रिश्तेदार संदीप अग्रवाल बीते 24-48 घंटों में बराबर हमारे संपर्क में रहे हैं. उनसे हमारी मुलाकात घटना वाली रात दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में तकरीबन दस बजे हुई थी. तब तक लोकेश की मौत की पुष्टि नहीं हुई थी. रात करीब ढाई बजे अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें मोर्चरी में जाकर लोकेश के शव की शिनाख्त करने का निर्देश दिया. घटना वाले दिन लोकेश अपने एक रिश्तेदार को देखने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल गए थे. अस्पताल से लौटते वक्त उनकी बात अपने ही परिवार के एक ड्राइवर अशोक कुमार से हुई.
7. अशोक कुमार
35 वर्षीय अशोक कुमार उत्तर प्रदेश के अमरोहा के रहने वाले थे और दिल्ली में एक बस कंडक्टर के रूप में काम करते थे. अशोक एक बस कंडक्टर के रूप में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (डीटीसी) के लिए काम करते थे. उनके तीन बच्चे हैं. भाई देवेंद्र कुमार ने आईएएनएस को बताया, ''अशोक अपनी ड्यूटी पूरी करके घर लौट रहे थे. वह दिल्ली में ही एक किराये के कमरे में रहते थे. मगर मूल रूप से उनका परिवार अमरोहा का है.''
8. पंकज साहनी
22 साल के पंकज साहनी एक प्राइवेट कैब ड्राइवर थे और मूलत: बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे. बीते पंद्रह सालों से वह अपने पिता के साथ दिल्ली में ही रह रहे थे. दस नवंबर को पंकज कैब से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही हादसे का शिकार हो गए. पंकज की अभी शादी नहीं हुई थी. पिता की मौजूदगी में अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दिया गया है.





