प्रदूषण छीन रहा आपके जीवन के कई साल, दिल्ली ही नहीं, बिहार और बंगाल में भी घुट रहा दम
दिल्ली में प्रदूषण के कारण खराब हुए मौसम ने लोगों को डरा रखा है. दिल्ली-एनसीआर के बाहर लगे मॉनिटरिंग स्टेशनों से गंगा के मैदानी इलाकों से डरा देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जो सच में डर की ओर इशारा करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई डॉक्टर्स ने भी इसे लेकर सख्त चेतावनी दी है और बताया कि इसका असर किस तरह आपकी सेहत पर हो रहा है.

देश की राजधानी इस समय खराब हवा के कारण परेशान है. आलम यूं है कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल होता चला जा रहा है. इस बीच एक ऐसी जानकारी सामने आई है जो आपको सच में चौका सकती है. दरअसल यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने बढ़ते हुए पॉल्यूशन को लेकर एक रिसर्च की. इस रिसर्च में चौंका देने वाले खुलासे हुए. बताया गया कि प्रदूषण के कारण आपकी उम्र 7 साल कम हो सकती है. कैसे? आइए जानते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रदूषण लोगों की उम्र कम होने का कारण बनता जा रहा है. दरअसल सर्दियों के मौसम में तापमान कम होने के कारण हवा धीमि रफ्तार से चलती है. ऐसे में इस प्रदूषण को देखते हुए मामला और भी गंभीर होता जा रहा है. रिसर्च के अनुसार दिल्ली, यूपी, हरियाणा, बिहार और पश्चिम बंगाल में इन इलाकों में रहने वाले लोगों का इसपर काफी प्रभाव पड़ता है. लोग सात साल कम जीते हैं.
सेहत के लिए ठीक नहीं यह प्रदूषण
दरअसल दिल्ली NCR में लगे मॉनिटरिंग स्टेशनों से गंगा के मैदानी इलाकों से प्रदूषण के गिरते स्तर को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं. वह पहले से भी और डरा देने वाले हैं. कई डॉक्टर्स द्वारा यह चेतावनी दी जा रही है कि इस खराब मौसम के संपर्क में एक घंटा रहने पर भी आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर प़़ड़ सकता है. इसका सीधा असर हमारे फेफड़े (लंग्स) पर पड़ता है.
वहीं जो लोग अभी गंभीर बीमारी जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित हैं. उनपर इसका अधिक असर पड़ता है. ऐसा इसलिए क्योंकी इस खराब स्तर से सबसे अधिक प्रभाव ऐसे ही लोगों पर पड़ता है. थोड़े ही देर के लिए खराब हवा के संपर्क में रहने के कारण दिल की बीमारी होने का खतरा भी हो सकता है.
इतने प्रतिशत तक बढ़ा प्रदूषण
वहीं एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार साल 1998 से 2016 तक दिल्ली एनसीआर के इन इलाकों में 72 प्रतिशत तक पॉल्यूशन बढ़ा है. वहीं मीडिया रिपोर्टस के अनुसार इस पॉल्यूशन के कारण 25 प्रतिशत तक हार्ट अटैक के केस बढ़ जाते हैं. शुरुआती दौर में केवल हार्ट में ब्लड फ्लो कम होता है और कुछ असमान्ताएं दिखाई देती हैं. वहीं इसका खतरा बच्चों पर भी अधिक पड़ता है, और IQ लेवल पर अधिक प्रभाव पड़ता है.