राजनीति में आकर नीतीश कुमार की विरासत संभालेंगे निशांत? जानें कब करेंगे एंट्री
बिहार के सीएम के बेटे निशांत की इस नई भूमिका को लेकर जदयू समर्थकों में उत्साह है, जबकि विपक्ष इसे नीतीश कुमार के राजनीतिक युग के समाप्त होने की आहट मान रहा है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में निशांत कुमार का राजनीतिक सफर किस दिशा में जाता है.

18 जनवरी 2025 की सुबह बख्तियारपुर के अपने पैतृक आवास पर नीतीश कुमार पहुंचे. उनके साथ उनके बेटे निशांत भी मौजूद थे. यह दिन खास था, क्योंकि निशांत ने पहली बार अपने पिता के राजनीतिक अभियान में सक्रिय भाग लिया. यह पहली बार था कि जब निशांत ने सार्वजानिक रूप से अपने पिता के लिए वोट की अपील की.
बख्तियारपुर के केंद्रीय चौक पर स्वतंत्रता सेनानी और निशांत के दादा, कविराज रामलखन सिंह 'वैद्य' की मूर्ति पर माल्यार्पण के लिए लोग इकट्ठा हुए थे. नीतीश कुमार के साथ निशांत ने भी अपने दादा की मूर्ति पर श्रद्धा व्यक्त की. इस छोटे से समारोह के बाद, जब मीडिया ने निशांत से सवाल किए तो उन्होंने अपने पिता के लिए वोट की अपील कर दी. यह पहली बार था जब निशांत ने सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई बयान दिया. यह बयान तुरंत राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया.
होली के बाद करेंगे एक्टिव पॉलिटिक्स?
जहां एक तरफ विपक्ष ने इसे नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता का संकेत बताया. वहीं भाजपा ने निशांत के बयान का स्वागत किया. जदयू के भीतर इस कदम को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया थी. हालांकि, आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया, मगर कई नेताओं ने निजी बातचीत में इसे राहत भरा कदम बताया. कई लोग इस बात की अटकलें लगाने लगे कि क्या निशांत अब सक्रिय राजनीति में प्रवेश करेंगे. कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि होली के बाद वह औपचारिक रूप से राजनीति में कदम रख सकते हैं. हालांकि, निशांत ने इस पर कोई साफ संकेत नहीं दिया है.
कौन हैं निशांत कुमार?
20 जुलाई 1975 को पटना में जन्मे निशांत कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मंजू सिन्हा के इकलौते बेटे हैं. मंजू सिन्हा का 2007 में निधन हो गया था. इसके बाद से निशांत ने अपने पिता के साथ एक साधारण और निजी जीवन जिया. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) मेसरा के पूर्व छात्र निशांत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और अपनी आध्यात्मिक प्रवृत्तियों के लिए जाने जाते हैं.
अध्यात्म के रास्ते पर हैं निशांत
राजनीतिक मंचों और चर्चाओं से दूर रहने वाले निशांत अक्सर अपने आध्यात्मिक झुकाव और शांत जीवनशैली की वजह से चर्चा में रहते हैं. पिछले साल जुलाई में उन्होंने राजनीति में शामिल होने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने 'अध्यात्म का रास्ता' चुना है. इसके बावजूद, उनके जीवन में कुछ ऐसे क्षण आए जिसने राजनीतिक हलचलों को जन्म दिया.
2015 में लोगों के सामने आए थे निशांत
2015 में जब उनके पिता ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तो निशांत पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए. उनके इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में उनके भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए. जदयू के वरिष्ठ नेता श्रवण कुमार ने उस वक्त संकेत दिया था कि निशांत राजनीति में आ सकते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला सही समय पर ही लिया जाएगा.
निशांत का आना समय की मांग
निशांत की संभावित राजनीतिक यात्रा इसलिए और भी रोचक हो जाती है, क्योंकि उनके पिता नीतीश कुमार ने हमेशा वंशवादी राजनीति का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) जैसी पार्टियों को परिवारवाद के लिए आलोचना का निशाना बनाया है. इसके बावजूद, जदयू के कुछ नेताओं का मानना है कि राज्य और पार्टी के कल्याण के लिए निशांत का राजनीति में आना समय की मांग है.
पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगे?
पिछले साल जून में जदयू के प्रदेश महासचिव परम हंस कुमार ने कहा था कि नीतीश कुमार परिवारवाद के आलोचक हैं, लेकिन अगर एक ईमानदार और स्वच्छ छवि वाला व्यक्ति राज्य की सेवा करना चाहता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है. निशांत के राजनीति में संभावित प्रवेश ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगे? राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है, लेकिन निशांत ने अब तक अपनी मंशा को स्पष्ट नहीं किया है. उनका शांत और आध्यात्मिक स्वभाव उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर और भी अधिक उत्सुकता पैदा करता है.