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हुनान का अनोखा तालाब, यहां मछलियां रोजाना खाती हैं 5,000 किलो मिर्च, जानें क्या है ये नया माजरा

हुनान प्रांत के चांगशा में एक अनोखा मछली तालाब इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इस तालाब की खासियत यह है कि यहां की मछलियां रोजाना 5,000 किलो मिर्च खाती हैं. अब सोचिए भला इंसान तो मिर्च खाने से पहले चार बार सोचता है, तो इन मछलियों का क्या होता होगा?

हुनान का अनोखा तालाब, यहां मछलियां रोजाना खाती हैं 5,000 किलो मिर्च, जानें क्या है ये नया माजरा
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( Image Source:  META AI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 14 Nov 2025 6:33 PM IST

हुनान की धरती वैसे भी अपने तेज़ और मसालेदार खाने के लिए जानी जाती है. पर इस बार मसाले का असर सिर्फ थालियों तक सीमित नहीं रहा. चांग्शा शहर के एक 10 एकड़ के मछली तालाब में मछलियों का खाना देखकर लोग दंग रह गए. यहां मछलियों को हर दिन 5,000 किलो मिर्च खिलाई जाती है.

वो ही मिर्च जो इंसान के मुंह से आग निकाल दे. यह अनोखा तरीका स्थानीय लोगों और टूरिस्ट दोनों का ध्यान खींच रहा है और सोशल मीडिया पर भी इसे खूब शेयर किया जा रहा है.

दो दोस्तों का अनोखा एक्सपेरिमेंट

तालाब के मालिक 40 साल के जियांग शेंग और उनके पुराने स्कूलमेट कुआंग हैं. दोनों ने मिलकर इस मसालेदार एक्सपेरिमेंट की शुरुआत की थी. शुरू में मछलियां मिर्च देखकर डर जाती थीं, लेकिन अब हाल यह है कि अगर तालाब में घास डाल दी जाए, तो भी मछलियां उसे छोड़कर सीधे मिर्च की तरफ कूदी जाती हैं. इस पर कुआंग ने कहा कि 'शायद अब हमारी मछलियां भी हुनान के लोगों जैसी बन गई हैं, जिन्हें बिना तीखे के मजा ही नहीं आता.'

मछलियों को मिर्च खिलाने का कारण

इन तीखी मिर्चों का असर मछलियों पर साफ नजर आने लगा है. उनकी त्वचा पर सुनहरी चमक आ गई है और स्वाद भी पहले से बेहतर हो गया है. कुआंग ने बताया कि मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन मछलियों के पाचन को तेज करता है और पोषक तत्वों को जल्दी अब्जॉर्ब करने में मदद करता है. इतना ही नहीं, इससे उनकी आंतें भी हेल्दी रहती हैं और शरीर में पैरासाइट नहीं पनपते. इसी वजह से इन मछलियों का मांस आम मछलियों की तुलना में ज्यादा नरम और टेस्टी होता है.

मुफ्त में मिलती है मिर्च

जियांग ने बताया कि ये मिर्चें उन्हें स्थानीय किसानों से मुफ्त में मिल जाती हैं. ज्यादातर ये मिर्चें ऐसी होती हैं जो बिक नहीं पातीं या जल्दी खराब होने वाली होती हैं. इससे उनका खर्च भी कम हो गया और खेती का बचा-कुचा सामान भी काम आ गया. नतीजा यह हुआ कि अब उनका तालाब पर्यटकों के लिए आकर्षण बन गया है. आसपास के गांवों और शहरों के लोग अब इन ‘चिली मछलियों’ को देखने आने लगे हैं.


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