Begin typing your search...

जहरीली शराब से मौत पर सरकार मौन! नीतीश सरकार क्यों नहीं हटा रही शराबबंदी?

शराबबंदी बिहार की बहुत अच्छी पहल थी. महिलाओं की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद नीतीश सरकार ने 2016 में ये फैसला लिया था. अब राज्य में शराब माफियाओं की वजह से जहरीली शराब बनती है. इसे पीने के बाद लोगों की मौत होती है. साथ ही उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल से शराब की तस्करी भी व्यापक रूप से होती है.

जहरीली शराब से मौत पर सरकार मौन! नीतीश सरकार क्यों नहीं हटा रही शराबबंदी?
X
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 18 Oct 2024 6:00 AM IST

बिहार के सीवान और छपरा में जहरीली शराब पीने से करीब 28 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की हालत नाजुक बताई जा रही है. छपरा SP कुमार आशीष ने बताया कि हमने SIT गठित कर 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है, 3 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. बता दें, बिहार में अप्रैल 2016 में सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने शराबबंदी लागू की थी.

इस शराब घटना के बाद सवाल ये उठता है कि आखिर बिहार में जहरीली शराब पीकर लोगों की मौत क्यों हो रही है? नीतीश सरकार शराब बंदी होने के बावजूद इसपर लगाम क्यों नहीं लगा रही है? बिहार सरकार पूरी तरह से शराब को लागु क्यों नहीं कर देती है? साथ ही शराब माफिया पर अभी तक लगाम क्यों नहीं लगाया गया है? इन सब सवालों के साथ बिहार की नीतीश सरकार घिरती नजर आ रही है.

पीके करना चाहते हैं शराब चालू

इन मौतों को लेकर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। पीके ने कहा कि बिहार में कहीं शराबबंदी नहीं है। यहां होम डिलीवरी हो रही है या फिर शराब का अवैध कारोबार चल रहा है। शराबबंदी का फायदा भ्रष्ट अधिकारी उठा रहे हैं और नेताओं की कमाई हो रही है। उन्होंने 2 अक्टूबर को जन सुराज पार्टी की लॉन्चिंग के समय कहा था कि उनकी सरकार बनते ही वह एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे। पीके ने यह भी बताया कि शराबबंदी खत्म करने के बाद उससे जो पैसा टैक्स के रूप में आएगा उस राशि को बीस साल तक बिहार के शिक्षा व्यवस्था पर खर्च किया जाएगा।

राजस्व का नुकसान

शराब की बिक्री से होने वाले राजस्व की हानि ने बिहार की अर्थव्यवस्था पर बहुत ही गहरा प्रभाव डाला है। रिपोर्ट के अनुसार, शराब बंदी के कारण बिहार को हर साल 10,000 से 15,000 करोड़ का राजस्व का नुकसान हो रहा है. ये राजस्व अगर रहता तो अन्य विकास कार्यों में खर्च हो सकता था. शराब बंदी की वजह से राज्य के राशन जैसे चावल, आटा, तेल, दाल, चीनी और अन्य चीजों के दाम बढ़े हैं. इसकी वजह से महंगाई की मार आम आदमी झेलने पर मजबूर हो गया है. इसी वजह से शराबबंदी को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है.

भ्रष्ट अफसरों, थानों और नेताओं के पास जा रहा पैसा

बिहार में शराबबंदी का आलम यह है कि यहां पर शराब होम डिलीवरी करके पहुंचाया जा रहा है। इसमें पुलिसकर्मी, थाना, जिले के अफसर से लेकर नेता तक इसमें शामिल रहते हैं। राज्य के नेताओं, पुलिस और अन्य कानून व्यवस्था अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप बढ़े हैं. इसी वजह से शराब बंदी की निगरानी में कमी और भ्रष्टाचार में वृद्धि नजर आई है. शराब माफिया पुलिस की नाक के नीचे से शराब बनाते हैं और सप्लाई करते हैं. पुलिस की निगरानी में ये काला करतूत दिन रात फलता फूलता रहता है.

शराबबंदी बिहार की बहुत अच्छी पहल थी. महिलाओं की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद नीतीश सरकार ने 2016 में ये फैसला लिया था. अब राज्य में शराब माफियाओं की वजह से जहरीली शराब बनती है. इसे पीने के बाद लोगों की मौत होती है. साथ ही उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल से शराब की तस्करी भी व्यापक रूप से होती है. जिसमें पुलिस और नेता दोनों की साझेदारी होती है.

अगला लेख