बांग्लादेश का राष्ट्रगान गाने वाले कांग्रेस नेता बिधु भूषण दास कौन? असम में नया बवाल, BJP ने की जांच की मांग| VIDEO
असम की राजनीति में इन दिनों एक गीत को लेकर बड़ा बवाल मचा हुआ है. दरसअल बीजेपी ने कांग्रेस के नेता पर बांग्लादेश के राष्ट्रगान गाने का आरोप लगाया है, जिस पर कांग्रेस ने अपने पलटवार में कहा है कि ये नेशनल एंथम नहीं बल्कि रवींद्रनाथ टैगोर की एक रचना है.
असम की सियासत में इस वक्त एक गीत ने भूचाल ला दिया है. दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिधु भूषण दास पर आरोप है कि उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘अमार सोनार बांग्ला, आमी तोमाय भालोबाशी’ गाया. यह वही गीत है जिसे नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था और जो बाद में बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना.
इसके बाद बराक क्षेत्र में विवाद खड़ा हो गया है. इस पर अब बीजेपी ने जांच की मांग की है. साथ ही, कांग्रेस ने अपने बचाव में कहा है कि यह सिर्फ रवींद्रनाथ टैगोर की रचना थी. चलिए ऐसे में जानते हैं कौन हैं ये नेता.
कांग्रेस नेता ने गाया बांग्लादेश का राष्ट्रगान
नेता बिधु भूषण के इस गीत से असम के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगा दिया. जहां बीजेपी असम प्रदेश ने अपने एक्स अकाउंट पर वीडियो शेयर कर कैप्शन में लिखा ' संकेत इससे ज़्यादा ज़ोरदार नहीं हो सकते हैं. कुछ ही दिन पहले बांग्लादेश ने पूरे पूर्वोत्तर को निगलने वाला नक्शा छापने की हिम्मत की थी और अब बांग्लादेश-प्रेमी कांग्रेस यहीं असम में गर्व से बांग्लादेश का राष्ट्रगान गा रही है.'
कांग्रेस का जवाब
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया है. पार्टी का कहना है कि बिधु भूषण दास ने राष्ट्रगान नहीं, बल्कि रवींद्र संगीत प्रस्तुत किया था. करीमगंज (श्रीभूमि) जिला कांग्रेस समिति के मीडिया विभाग के अध्यक्ष शहादत अहमद चौधरी (स्वपन) ने दास का समर्थन करते हुए कहा कि 'बिधु भूषण दास ने बांग्लादेश का राष्ट्रगान नहीं गाया था. उन्होंने साफ तौर से बताया था कि वे अपने भाषण की शुरुआत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की एक रचना से करेंगे. यह गीत भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, जिसे टैगोर ने 1905 में बंगाल के विभाजन के समय लिखा था.'
कौन हैं बिधु भूषण दास?
यह घटना सोमवार को श्रीभूमि जिले के इंदिरा भवन में कांग्रेस सेवा दल की बैठक के दौरान हुई. बिधु भूषण दास भंगा (श्रीभूमि) के निवासी हैं और सेवा दल की जिला इकाई के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं.
बराक घाटी में सियासी समीकरणों पर असर
दरअसल असम का श्रीभूमि ज़िला बांग्लादेश की सीमा से लगा हुआ है और बंगाली बहुल बराक घाटी का हिस्सा है. यह इलाका भाषा और सांस्कृतिक पहचान को लेकर बेहद संवेदनशील माना जाता है. यहां बड़ी संख्या में बंगाली भाषी आबादी रहती है, जो टैगोर की रचनाओं को अपनी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा मानती है. इसलिए कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है. वहीं भाजपा इसे “राष्ट्रीय भावनाओं से खिलवाड़” बता रही है.





