जहर देकर की गई Zubeen Garg की हत्या! कौन हैं जस्टिस सौमित्र सैकिया, जो करेंगे जुबिन डेथ मिस्ट्री की जांच?
लोकप्रिय गायक और ‘असम की आवाज़’ जुबिन गर्ग की सिंगापुर में हुई रहस्यमय मौत की जांच अब न्यायिक आयोग के तहत होगी. असम सरकार ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की अगुवाई में आयोग गठित किया. पढ़ें जुबिन गर्ग के निधन के पीछे की जांच और कानूनी कार्रवाई.

लोकप्रिय गायक और ‘असम की आवाज़’ कहे जाने वाले जुबिन गर्ग की मौत की गुत्थी अब न्यायिक जांच के दायरे में आ गई है. असम सरकार ने इस मामले में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है, जिसकी अगुवाई गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया करेंगे. यह निर्णय मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने जनता को संबोधित करते हुए घोषित किया.
19 सितंबर को सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग के दौरान 52 वर्षीय जुबिन गर्ग की रहस्यमय मौत के बाद से ही कई सवाल उठ रहे थे. जुबीन वहां नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल में भाग लेने पहुंचे थे, लेकिन डाइविंग के दौरान अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके निधन की परिस्थितियों को लेकर फैन्स और परिजनों ने सवाल उठाए, जिसके बाद असम सरकार ने विदेश मंत्रालय और सिंगापुर अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी. अब न्यायिक जांच आयोग के गठन से इस मामले की कानूनी तहकीकात तेज हो गई है.
क्या जहर देकर की गई जुबिन की हत्या?
बता दें कि शु्क्रवार को ही जुबिन की मौत के मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई थी. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, रिमांड नोट्स में उनके बैंडमेट शेखर ज्योति गोस्वामी का बयान सामने आया जिसमें गोस्वामी ने दावा किया है कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश थी, जिसमें जुबिन को ज़हर देकर मौत के घाट उतारा गया और बाद में इसे दुर्घटना की तरह दिखाने की कोशिश की गई.
कौन हैं जस्टिस सौमित्र सैकिया?
न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया इस समय गुवाहाटी उच्च न्यायालय के स्थायी जज हैं. उनका जन्म 25 जुलाई 1969 को हुआ था. उन्होंने जे.बी. लॉ कॉलेज (गुवाहाटी विश्वविद्यालय) से 1995 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की. इसी वर्ष उन्होंने असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की बार काउंसिल में एडवोकेट के रूप में नाम दर्ज कराया और अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की.
सैकिया ने अपने करियर के दौरान राजस्व, कराधान, श्रम, सेवा, कॉर्पोरेट, अनुबंध और मध्यस्थता जैसे मामलों में काम किया है. वे कई बार उच्च न्यायालय में दीवानी और आपराधिक अपीलों में भी पेश हुए हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों का प्रतिनिधित्व किया है.
अनुभव और कानूनी योगदान
जस्टिस सैकिया ने असम सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों - जैसे पीडब्ल्यूडी, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, कृषि विपणन बोर्ड आदि - का कानूनी प्रतिनिधित्व किया है. वे कुछ वर्षों तक AICTE (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) के स्थायी वकील भी रहे हैं. इसके अलावा, उन्हें भारतीय विधि संस्थान (ILI) असम चैप्टर का सचिव नियुक्त किया गया था. उनकी निष्ठा और निष्पक्ष कार्यशैली को देखते हुए 26 नवंबर 2019 को उन्हें अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया, और बाद में 13 अक्टूबर 2021 को वे स्थायी न्यायाधीश बन गए.
जुबिन केस में क्यों महत्वपूर्ण है यह जांच?
असम सरकार चाहती है कि जुबिन गर्ग की मौत से जुड़ी हर परिस्थिति की सच्चाई सामने आए - चाहे वह आयोजकों की लापरवाही, सुरक्षा प्रोटोकॉल, या मेडिकल रेस्पॉन्स से जुड़ी हो. जस्टिस सैकिया के नेतृत्व में यह आयोग सभी संबंधित पक्षों से पूछताछ करेगा, दस्तावेज और मेडिकल रिपोर्टों का अध्ययन करेगा और अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगा.
जुबिन गर्ग असम में सिर्फ एक गायक नहीं बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक थे - उनके गानों ने पूर्वोत्तर की पहचान को पूरे भारत में फैलाया. ऐसे में राज्य सरकार पर उनके प्रशंसकों का गहरा दबाव है कि उनकी मौत की सच्चाई सामने आए. अब उम्मीद की जा रही है कि जस्टिस सौमित्र सैकिया की निष्पक्ष और संवेदनशील जांच इस रहस्य पर से पर्दा उठाएगी और जुबिन के चाहने वालों को न्याय की उम्मीद देगी.