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असम में इस बार NRC नहीं SR, बिहार के SIR से कैसे है अलग, क्‍या फिर मचेगा बवाल और क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

Assam Special Revision: असम में आज से मतदाता सूची का स्पेशल रिवीजन (SR) शुरू हो गया. बड़ा सवाल है कि राज्य में एनआरसी और SIR (Special Intensive Revision) की जगह SR क्यों लागू किया गया? SR मॉडल कैसे काम करेगा, यह SIR से कैसे अलग है और चुनाव आयोग ने यह निर्णय क्यों लिया? जानें डिटेल में सब कुछ.

असम में इस बार NRC नहीं SR, बिहार के SIR से कैसे है अलग, क्‍या फिर मचेगा बवाल और क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
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( Image Source:  ANI )

पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य असम में आज से मतदाता सूची के नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. चुनाव आयोग ने असम में एनआरसी और एसआईआर के बदले Special Revision (SR) कराने का फैसला लिया है. राज्य में लंबे समय से मांग उठ रही थी कि मतदाता सूची की गहन समीक्षा यानी SIR करवाई जाए, लेकिन चुनाव आयोग ने इससे अलग रास्ता चुनते हुए SR लागू किया है. अब सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि आखिर SIR क्यों नहीं? दोनों प्रक्रियाओं में अंतर क्या है और SR लागू करने के पीछे क्या कारण हैं?

चुनाव आयोग ने 17 नवंबर को असम में वोटर रोल के 'स्पेशल रिवीजन' का ऑर्डर दिया था. पोल पैनल ने एक बयान में कहा कि असम की फाइनल वोटर लिस्ट 10 फरवरी 2026 को पब्लिश की जाएगी. यह घोषणा 2026 में होने वाले असम असेंबली इलेक्शन से कुछ महीने पहले हुई है. एसआर कराने के पीछे मुख्य वजह यह है कि प्रदेश में रहने वाले लोगों की नागरिकता को अदालत में कई केस पेंडिंग होना है.

SR, SIR से अलग कैसे?

चुनाव अधिकारियों के मुताबिक 'स्पेशल रिवीजन' सालाना स्पेशल समरी रिवीजन और वोटर रोल के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बीच का मामला है. यह एक तरह से स्पेशल समरी रिविजन का अपग्रेड वर्जन है. इस प्रक्रिया के तहत एसआईआर की तरह गिनती के फॉर्म के बजाय, बूथ-लेवल के अधिकारी पहले से भरे रजिस्टर पर वोटरों को वेरीफाई करेंगे.

SIR क्यों नहीं?

पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा राज्य असम जनसंख्या संरचना के हिसाब से संवेदनशील राज्य है. असम में NRC, नागरिकता और माइग्रेशन से जुड़े जटिल मुद्दे हैं. SIR अत्यधिक गहन और दस्तावेज-आधारित प्रक्रिया होती है, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो सकता था. इसलिए, आयोग ने SR जैसे कम कठोर लेकिन प्रभावी मॉडल को चुना है.

विवाद और भ्रम से बचने की रणनीति

SIR में व्यापक दस्तावेज वेरिफिकेशन, नए फॉर्म, डोर-टू-डोर रिकॉर्डिंग जैसे कदम शामिल होते जिसमें जनता में भय या प्रतिरोध बढ़ सकता था। SR अपेक्षाकृत सरल और स्वीकार्य है.

SR शेड्यूल क्या है?

असम के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के लिए पोल पैनल द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार 1 जनवरी 2026 को राज्य के लिए स्पेशल रिवीजन करने की क्वालिफाइंग तारीख तय की गई है. शेड्यूल के अनुसार उससे पहले बीएलओ घर-घर जाकर मतदाता सूची का वेरिफिकेशन करेंगे. यह काम 22 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा. इंटीग्रेटेड ड्राफ्ट वोटर रोल 27 दिसंबर को और फाइनल रोल अगले साल 10 फरवरी को पब्लिश किया जाएगा.

वोटरों की एलिजिबिलिटी

इलेक्शन कमीशन के अधिकारियों को यह पक्का करना होगा कि कोई भी एलिजिबल नागरिक छूट न जाए या कोई इनएलिजिबल व्यक्ति इलेक्टोरल रोल में शामिल न हो. इस काम के दौरान पोल अधिकारियों के लिए यह जरूरी है कि भारत के संविधान के आर्टिकल 326 और रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1950 के सेक्शन 16 और 19 के अनुसार हर एलिजिबल व्यक्ति को वोटर के तौर पर एनरोल किया जाए.

चुनाव आयोग के अनुसार कोई भी व्यक्ति वोटर बनने और अप्लाई करने पर उस चुनाव क्षेत्र के लिए इलेक्टोरल रोल में रजिस्टर होने का हकदार है, अगर वह व्यक्ति भारत का नागरिक है, एक जनवरी 2026 को उसकी उम्र 18 साल से कम न हो. चुनाव क्षेत्र का आम निवासी हो. किसी भी कानून के तहत अयोग्य न हो और

ऐसे होगा घर-घर जाकर वेरिफिकेशन

चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त BLO घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेंगे. एक से ज्यादा एंट्री/मर चुके वोटर/हमेशा के लिए शिफ्ट हुए वोटर की सूची अपडेट कर नए सिरे से एंट्री करेंगे. होने वाले वोटर जो 1 जनवरी 2026 तक वोटर बनने के लायक हैं. इसके अलावा वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए किसी भी एप्लीकेशन को मना नहीं किया जाएगा और किसी व्यक्ति के आधार नंबर न दे पाने या न बता पाने की वजह से वोटर लिस्ट में कोई भी एंट्री नहीं हटाई जाएगी. चुनाव आयोग के अधिकारी रिवीजन शेड्यूल की घोषणा होते ही पॉलिटिकल पार्टियों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग करेंगे. CEO वोटर लिस्ट के फाइनल पब्लिकेशन से पहले चुनाव आयोग से इसकी इजाजत लेंगे.

1200 से ज्यादा वाला कोई पोलिंग स्टेशन नहीं होगा

मतदाताओं की संख्या के आधार पर अधिकारी नए पोलिंग स्टेशनों की जरूरत का अंदाजा लगाएंगे. यह देखते हुए कि किसी भी पोलिंग स्टेशन पर 1200 से ज्यादा वोटर नहीं हैं, सिवाय कमीशन की पहले से मंजूरी के.

चुनाव आयोग ने अक्टूबर में देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR कराने का आदेश दिया था. इनमें छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप शामिल हैं. इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव होना है.

असम न्‍यूज
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