घुटनों पर रखा तिरंगा, फिर पैरों की मदद से मोड़ा, वायरल वीडियो के बाद असम की ये महिला प्रिसिंपल पहुंची सलाखों के पीछे
तिरंगा केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं है, वो हमारे देश की शान है. उसका सम्मान करना हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है, लेकिन असम से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल ने तिरंगे को घुटनों पर रख फिर पैरों की मदद से मोड़ने की कोशिश करती हुई नजर आई, जिसका वीडियो वायरल हुआ और फिर पुलिस ने महिला को जेल भेजा.
असम के नागांव जिले में एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल फातिमा खातून इन दिनों विवादों में घिर गई हैं. वजह? तिरंगे को उतारने का उनका तरीका, जो लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया. शनिवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इस वीडियो में फातिमा खातून को स्कूल में अकेले झंडा उतारते हुए देखा गया.
वीडियो में वो घुटनों के बल बैठकर तिरंगे को अपने पैरों पर रखकर मोड़ती नज़र आईं. बस, यही बात कई लोगों को सही नहीं लगी, जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत की गई और प्रिंसिपल को पुलिस ने गिरफ्तार किया.
झंडे को पैर से मोड़ने की कोशिश
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने स्कूल में बाकायदा झंडा फहराया था. लेकिन अगली सुबह, यानी शनिवार को,वो अकेले स्कूल पहुंचीं और झंडा उतारती हैं. फिर उसे अपने घुटनों पर रखकर पैरों की मदद से मोड़ने की कोशिश करती हैं. यह पूरा दृश्य सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और लोगों में गुस्से की लहर दौड़ गई.
पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
स्थानीय लोगों की शिकायत और वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने फातिमा खातून को गिरफ्तार कर लिया. उन पर राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत मामला दर्ज किया गया. अब उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस का कहना है कि उन्होंने झंडे को "आपत्तिजनक तरीके" से नीचे उतारा, जो देश के झंडे के सम्मान के खिलाफ माना जाता है. अभी तक प्रिंसिपल की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है.
विवाद या गलतफहमी?
जहां एक पक्ष इसे जानबूझकर किया गया तिरंगे का अपमान मान रहा है, वहीं कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह एक अनजाने में हुई गलती थी? क्या उन्हें झंडा मोड़ने के सही नियमों की जानकारी नहीं थी? इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ व्यवहार को लेकर जागरूकता और सम्मान कितना जरूरी है. खासकर उन लोगों के लिए, जो शिक्षा जैसे ज़िम्मेदार पदों पर होते हैं. तिरंगा केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं है, वो हमारे देश की शान है. उसका सम्मान करना हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है. चाहे जाने-अनजाने में ही सही, अगर कोई उसका अपमान करता है, तो उसे क़ानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.





