सचिन तेंदुलकर रणजी खेल सकते हैं तो कोहली और रोहित क्यों नहीं? पूर्व दिग्गज ने उठाए सवाल
सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के साथ-साथ घरेलू क्रिकेट में भी अपनी भूमिका निभाई, जिससे युवा खिलाड़ियों को उनसे सीखने का मौका मिला.

हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत को क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा, और इस हार में भारतीय टीम के कुछ प्रमुख बल्लेबाजों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. खासकर, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बड़े नामों ने उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके. इस नतीजे के बाद इन दिग्गज खिलाड़ियों के घरेलू क्रिकेट में अनुपस्थित रहने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. दरअसल, इन खिलाड़ियों ने हाल के सालों में रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी जैसी बड़ी घरेलू प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना लगभग बंद ही कर दिया है.
अतीत में जब वर्कलोड मैनेजमेंट का इतना जोर नहीं था, तब बड़े खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट को अपना खेल सुधारने और फॉर्म में वापस आने का एक महत्वपूर्ण जरिया मानते थे. अगर हम 2007 के शुरुआती समय की बात करें, तो दक्षिण अफ्रीका के लंबे दौरे के बाद, भारतीय टीम को वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज खेलनी थी. उस समय सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, और जहीर खान जैसे अनुभवी खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी फाइनल में खेलने के लिए वनडे सीरीज के बीच में ही वडोदरा से मुंबई रवाना हो गए थे. तेंदुलकर ने उस फाइनल में शानदार शतक जड़ा, जबकि गांगुली और जहीर ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया. फिर, फाइनल के 48 घंटे बाद ही उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज खेली, बिना किसी 'वर्कलोड मैनेजमेंट' की चर्चा के.
देवांग गांधी ने उठाए सवाल
पूर्व क्रिकेटर देवांग गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तेंदुलकर ने अप्रैल 2000 की भीषण गर्मी में रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल खेला था और लगभग 500 रनों का पीछा करते हुए दोहरा शतक जड़ा था. इसके बाद कुछ ही दिनों में उन्होंने फाइनल भी खेला, जिसमें मोहम्मद अजहरुद्दीन और वीवीएस लक्ष्मण जैसे बड़े खिलाड़ी शामिल थे. तेंदुलकर का यह समर्पण घरेलू क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के बीच संतुलन बनाने का एक आदर्श उदाहरण था.
आज के दौर में, जसप्रीत बुमराह को छोड़कर, वर्कलोड मैनेजमेंट के नाम पर कई प्रमुख खिलाड़ी रणजी और दलीप ट्रॉफी में हिस्सा नहीं लेते हैं, चाहे वो विराट कोहली हों, रोहित शर्मा हों, या फिर रविचंद्रन अश्विन. यह सवाल खड़ा होता है कि क्या घरेलू क्रिकेट में उनकी भागीदारी से उनकी फॉर्म और आत्मविश्वास को बढ़ावा नहीं मिलेगा?