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क्यों और कैसे हुई थी शारदीय नवरात्रि की शुरुआत? फटाफट जान लें इसके पीछे की असली कहानी

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत और इसका महत्व हमें यह सिखाता है कि कैसे हम जीवन में अच्छाई और बुराई के बीच के संघर्ष को समझ सकते हैं और अंततः अच्छाई की जीत सुनिश्चित कर सकते हैं.

क्यों और कैसे हुई थी शारदीय नवरात्रि की शुरुआत? फटाफट जान लें इसके पीछे की असली कहानी
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Sharadiya Navratri
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 27 Sept 2024 12:08 PM

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि का अर्थ होता है 'नौ रातें', जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि का समय विशेष रूप से शरद ऋतु में आता है और इसे वर्ष की चार नवरात्रियों में सबसे प्रमुख माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई और इसके पीछे की कहानी क्या है? आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

शारदीय नवरात्रि महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और यह हमें हर साल यह याद दिलाती है कि सत्य और धर्म की राह पर चलना ही सबसे श्रेष्ठ मार्ग है.

शारदीय नवरात्रि की पौराणिक कथा

शारदीय नवरात्रि की उत्पत्ति की कहानी महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच हुए एक महाकाव्य युद्ध से जुड़ी हुई है. महिषासुर एक शक्तिशाली असुर (दानव) था, जिसे ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त था कि उसे कोई भी देवता या मनुष्य नहीं मार सकता. इस वरदान के बाद महिषासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया और देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया. असुर के आतंक से परेशान होकर देवताओं ने भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से सहायता मांगी.

तीनों देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक महाशक्ति का निर्माण किया, जिसे देवी दुर्गा कहा गया. देवी दुर्गा को महिषासुर का वध करने का कार्य सौंपा गया.

देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ, और दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध कर दिया. इस विजय को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है, और इसी के उपलक्ष्य में शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है.

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का धार्मिक महत्व

शारदीय नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य मां दुर्गा की पूजा और साधना के माध्यम से अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र करना है. यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है और नौ दिनों तक चलता है. हर दिन मां दुर्गा के एक रूप की पूजा की जाती है, जैसे कि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री.

इन नौ दिनों में व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है.

नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व

नवरात्रि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी है. इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में भव्य रूप से गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग मां दुर्गा की आराधना करते हैं. विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र में इस पर्व की रौनक देखते ही बनती है. इसके साथ ही बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन बहुत धूमधाम से होता है, जहां मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन दशहरे के दिन किया जाता है.

शारदीय नवरात्रि का आध्यात्मिक पक्ष

शारदीय नवरात्रि का आध्यात्मिक पक्ष भी बेहद गहरा है. यह समय ध्यान, साधना और आत्मचिंतन का होता है. नवरात्रि के दौरान उपवास रखना और मां दुर्गा की आराधना करना हमें अपने भीतर की नकारात्मकता से मुक्ति दिलाने में मदद करता है. यह पर्व एक नई ऊर्जा, आत्मशक्ति और सकारात्मकता का संचार करता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या ग़लत होने की पुष्टि नहीं करते.

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