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कब से शुरू होगा खरमास? जानिए इसका महत्व और क्या करें और क्या नहीं

खरमास हिंदू पंचांग के अनुसार वह अवधि है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं. यह समय शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है और विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कार्यों पर रोक होती है. 2025 में खरमास 16 दिसंबर सुबह 4:26 से शुरू होकर 14 जनवरी मकर संक्रांति तक चलेगा. इस दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य देना, जप-तप, दान, गंगा स्नान और सेवा को अत्यंत शुभ माना जाता है, जबकि नए कार्यों की शुरुआत और मांगलिक कार्य निषिद्ध होते हैं.

कब से शुरू होगा खरमास? जानिए इसका महत्व और क्या करें और क्या नहीं
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( Image Source:  Sora AI )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 7 Dec 2025 6:30 AM IST

हिंदू धर्म कई तरह की मान्यताओं का पालन करना होता है, जिसमें एक खरमास होता है. इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार वर्ष खरमास दो बार लगता है. जब सूर्य धनु या फिर मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है. खरमास को अच्छा समय नहीं माना जाता है. इस दौरान कई तरह के शुभ और मांगलिक कार्य थम जाते हैं.

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खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि करना वर्जित हो जाता है. आपको बता दें कि 16 दिसंबर को ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे जिसके कारण एक माह के लिए खरमास आरंभ हो जाएंगे. आइए जानते हैं यह खरमास कब से कब तक चलेगा और इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

खरमास 2025 कब से कब तक

वैदिक पंचांग के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य 16 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर गुरु की राशि धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे. जिसके चलते खारमास प्रारंभ हो जाएगा. सूर्य धनु राशि में 14 जनवरी तक रहेंगे फिर इसके बाद मकर राशि में गोचर होंगे. यानी मकर संक्रांति पर खरमास समाप्त हो जाएगा.

खरमास पर शुभ कार्य वर्जित

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्यदेव देव धनु या फिर मीन राशि में गोचर करेंगे तो इस दौरान एक माह के लिए खरमसा लग जाते हैं. दरअसल सूर्य के गुरु की राशि धनु या मीन में गोचर करने से गुरु की स्थिति कमजोर हो जाती है. ऐसे में शुभ और मांगलिक कार्य थम जाते हैं. खरमास पर किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करने के मनाही होती है.

खरमास पर क्या करें

  • खरमास पर हर दिन सूर्यदेव को अर्घ्य दें और सूर्य को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे का प्रयोग करें. इसमें जल, सिंदूर, लाल फूल और अक्षत मिलाकर सूर्यदेव को जल चढ़ाएं.
  • खरमास में जप तप और दान का विशेष महत्व होता है. ऐसे मे दान करना और मंत्रों का जाप करना बहुत ही शुभफलदायी साबित होता है.
  • खरमास में हर दिन गंगा स्नान करने का खास महत्व होता है. इससे पुण्या लाभ का प्राप्ति होती है.
  • खरमास में गाय, ब्राह्राण और जरूरत मंदों की सेवा और सत्कार जरूर करनी चाहिए.

खरमास में क्या न करें

खरमास में शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से बचना होगा. इस पूरे महीने शादी, विवाह , सगाई और अन्य दूसरी मांगलिक कार्यों नहीं करना चाहिए. खरमास में गृह प्रवेश करना अशुभ होता है. खरमास में किसी नए काम की शुरुआत करने से बचना चाहिए. खरमास में मुंडन, छेदन और जनेऊ संस्कार जैसे काम करना अच्छा नहीं माना जाता है.

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