इस मंदिर में देवी दुर्गा ने किया था महिषासुर का वध, दर्शन करने के लिए चाहिए फौलादी घुटने, तब होंगे माता के दर्शन!
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित सप्तश्रृंगी देवी का मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमयी स्थल है, जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. यह मंदिर नासिक से लगभग 65 किलोमीटर दूर वणी गांव के पास 4800 फीट ऊंचे सप्तश्रृंग पर्वत पर स्थित है.

Saptashrungi Devi Mandir: महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित सप्तश्रृंगी देवी का मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमयी स्थल है, जहां मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. यह मंदिर नासिक से लगभग 65 किलोमीटर दूर वणी गांव के पास 4800 फीट ऊंचे सप्तश्रृंग पर्वत पर स्थित है. यह स्थान 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और इसे अर्धशक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 472 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो इसे और भी खास बनाता है. केवल वे भक्त यहां पहुंचते हैं, जिनमें सच्ची श्रद्धा और दृढ़ इच्छाशक्ति होती है.
मां भगवती के बदलते चेहरे के भाव
सप्तश्रृंगी देवी की प्रतिमा की सबसे खास बात यह है कि मां भगवती समय-समय पर अपने चेहरे के भाव बदलती हैं. चैत्र नवरात्रि के दौरान मां प्रसन्न मुद्रा में दिखाई देती हैं, जबकि अश्विन नवरात्रि में उनका चेहरा गंभीर हो जाता है. भक्तों का मानना है कि अश्विन नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा विशेष रूप से पापियों का संहार करने के लिए विभिन्न रूप धारण करती हैं. यह मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक और रहस्यमयी अनुभवों का केंद्र है.
महिषासुर वध की कथा
सप्तश्रृंगी देवी का मंदिर सात पर्वतों से घिरा हुआ है, जिस कारण इसे "सप्तश्रृंगी" कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन सात पर्वतों पर होने वाली हर गतिविधि पर देवी का ध्यान रहता है. यहां देवी ने महिषासुर का वध किया था और इसी स्थान पर महिषासुर के कटे सिर की पूजा भी होती है. मंदिर की सीढ़ियों के बाईं ओर महिषासुर का एक छोटा-सा मंदिर है, जहां भक्त महिषासुर के दर्शन भी करते हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा ने त्रिशूल से महिषासुर का अंत किया था, जिससे पर्वत पर एक बड़ा छेद बन गया था, जो आज भी देखा जा सकता है.
सप्तश्रृंगी देवी मंदिर तक कैसे पहुंचे
अगर आप इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक है, जो यहां से 60 किलोमीटर की दूरी पर है. नासिक से कैब, टैक्सी या निजी वाहन के माध्यम से आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं, लेकिन पहाड़ी पर चढ़ाई पैदल ही करनी होगी. 472 सीढ़ियों का सफर भले ही चुनौतीपूर्ण हो, लेकिन मां भगवती के आशीर्वाद के लिए यह यात्रा अविस्मरणीय अनुभव साबित होती है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.