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Shardiya Navratri 2024: कल है शारदीय नवरात्रि, ऐसे करें कलश स्थानपना और पूजा, मां दूर्गा होगी प्रसन्न!

शास्त्रों के अनुसार, पूरे विधि-विधान से नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से परिवार पर धन, सुख और शांति का आशीर्वाद बना रहता है. आइए जानते हैं कलश स्थानपना और पूजा विधि के बारे में

Shardiya Navratri 2024: कल है शारदीय नवरात्रि, ऐसे करें कलश स्थानपना और पूजा, मां दूर्गा होगी प्रसन्न!
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 2 Oct 2024 8:00 PM IST

Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और 11 अक्टूबर तक चलेगा. इस पावन अवसर पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो शक्ति, साहस और भक्ति का प्रतीक हैं. भक्तजन अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखकर देवी की आराधना करते हैं. शास्त्रों के अनुसार, पूरे विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से परिवार पर धन, सुख और शांति का आशीर्वाद बना रहता है.

कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त

3 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना का मुहूर्त कन्या लग्न में सुबह 6:00 से 7:05 बजे तक रहेगा.+ इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:31 से 12:19 तक है. इसी दिन से नवरात्र की शुरुआत होगी और 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा. इस बार, चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण 6 और 7 अक्टूबर को माता कुष्मांडा की पूजा होगी, जबकि 11 अक्टूबर को महाअष्टमी और महानवमी का व्रत एक साथ रखा जाएगा.

नवरात्रि की पूजा विधि

नवरात्रि की पूजा विधि सरल होते हुए भी अत्यंत प्रभावी मानी गई है. पहले दिन घर या मंदिर में कलश स्थापना की जाती है, जिससे देवी की कृपा घर में बनी रहे. इसके बाद देवी को धूप, दीप, फूल, अक्षत और प्रसाद अर्पित किया जाता है. शृंगार और चुनरी मां दुर्गा को प्रिय होते हैं, इसलिए इन्हें अवश्य अर्पित करना चाहिए. पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती या गायत्री चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है. अंत में देवी की आरती की जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है.

देवी के नौ स्वरूप

  1. माता शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और शांति एवं पवित्रता की प्रतीक मानी जाती हैं. इस दिन सफेद रंग पहनना शुभ होता है.
  2. माता ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और साधना की देवी मानी जाती हैं. इस दिन पीले रंग का महत्व है, जो सुख और समृद्धि का प्रतीक है.
  3. माता चंद्रघंटा: तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की आराधना की जाती है, जो साहस और शांति की देवी हैं. हरा रंग इस दिन शुभ माना जाता है.
  4. माता कुष्मांडा: चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा होती है, जो ब्रह्मांड की सृष्टिकर्ता मानी जाती हैं. इस दिन नारंगी रंग धारण करना शुभ होता है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है.
  5. माता स्कंदमाता: पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं. शांति और भक्ति का प्रतीक यह दिन सफेद रंग को समर्पित है.
  6. माता कात्यायनी: छठे दिन देवी कात्यायनी की आराधना होती है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं. लाल रंग इस दिन शुभ माना जाता है.
  7. माता कालरात्रि: सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो बुराई का नाश करने वाली देवी हैं. इस दिन नीला रंग पहनना शुभ होता है.
  8. माता महागौरी: आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा होती है, जो पवित्रता और शांति की देवी मानी जाती हैं. इस दिन गुलाबी रंग शुभ माना जाता है.
  9. माता सिद्धिदात्री: नवमी के दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सिद्धियों की दात्री हैं. इस दिन बैंगनी रंग शुभ माना जाता है.


डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं शऔर जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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