इबादत और नमाज से शुरू होता है दिन, मुसलमानों के लिए है बेहद खास, जानिए ईद-ए-मिलाद का महत्व
देश में आज ईद-ए-मिलाद का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. ईद-ए-मिलाद को ईदों की ईद भी कहा जाता है. इस दिन पैगबंर मुहम्मद का जन्म हुआ था.

Eid-Ae-Milad 2024: देश भर में आज ईद-ए-मिलाद का त्याहोर मनाया जा रहा है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है. इस दिन पैगबंर मुहम्मद का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को खास तरीके से धूमधाम के साथ मनाया जाता है. ईद-ए-मिलाद को ईदों की ईद भी कहा जाता है.
माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद अल्लाह के दूत और इस्लाम के मार्गदर्शक थे. उनकी यौम-ए-पैदाइश को इस्लाम को मानने वाले एक जश्न की तरह मनाते हैं.
इतने दिन होता है सेलिब्रेशन
ईद-ए-मिलाद को लेकर इस्लाम में कई मान्ताएं हैं. कुछ लोगों का कहना है कि इस दिन पैगंबर मुहम्मद का जन्म हुआ था तो कुछ इस दिन को उनके इंतकाल के दिन के रूप में मनाते हैं. आज के दिन मुसलमान मस्जिद में जाकर पैगंबर मुहम्मद के संदेशों और उनके योगदान को याद करते हैं. यह दिन मुसलमानों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करता है. साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
पैगबंर मुहम्मद का महत्व
इस्लाम धर्म में माना जाता है कि अल्लाह समय-समय पर अपने दूतों को धरती पर भेजते रहते हैं जो जनता को सही रास्ते पर चलने का उपदेश देते हैं. आपको बता दें कि हजरत मुहम्मद को अल्लाह के आखिरी दूत के तौर पर जाना जाता है. उनका जन्म साउदी अरब के मक्का में हुआ था. ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म वर्ष 570 में हुआ था. ये त्योहार भारत के अलावा बांग्लादेश, रूस, जर्मनी, श्रीलंका समेत कई इस्लामिक देशों में मनाया जाता है.
क्यों नहीं दिखती पैगबंर मुहम्मद की तस्वीर?
पैगबंर मुहम्मद की कभी भी कोई तस्वीर नहीं दिखती. इसको लेकर कहा जाता है कि इस्लाम में पैगंबर मोहम्मद की तस्वीर या चित्रण न करने का कारण धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों से जुड़ा है. इस्लाम का मानना है, इंसानों को पैगंबर की कोई तस्वीर या मूर्ति बनीं बनाना सही नहीं है. पैगंबर साहब को उनके कामों और शिक्षा के लिए याद करना चाहिए.
नोट- यह लेख सामान्य जानकारी के मुताबिक दिया गया है. इसकी पुष्टि StateMirror नहीं करता है.