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Kartik Purnima 2024: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें पवित्र दिन पर स्नान-दान और दीपदान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यधिक पुण्यकारी और शुभ तिथि मानी जाती है. इसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह पावन पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और विशेष स्नान-दान के समय के बारे में.

Kartik Purnima 2024: कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें पवित्र दिन पर स्नान-दान और दीपदान का महत्व
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 8 Nov 2024 8:51 PM

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यधिक पुण्यकारी और शुभ तिथि मानी जाती है. इसे कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष यह पावन पर्व 15 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और विशेष स्नान-दान के समय के बारे में.

कब है कार्तिक पूर्णिमा 2024?

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:19 बजे से शुरू होकर 16 नवंबर को सुबह 2:58 बजे समाप्त होगी. इस प्रकार, स्नान और दान के लिए प्रमुख दिन 15 नवंबर रहेगा.

शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप और मानसिक विकारों का नाश होता है. इस दिन का स्नान-दान का मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 4:58 बजे से लेकर 5:51 बजे तक रहेगा. इस समयावधि में स्नान करने से देवताओं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

दीपदान और पूजन की परंपरा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन किए गए दीपदान से समस्त देवी-देवता प्रसन्न होकर भक्तों को अपना आशीर्वाद देते हैं. व्रत रखने वाले जातक इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनते हैं और पूजा करते हैं. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं. इस वर्ष चंद्रोदय का समय शाम 4:51 बजे रहेगा.

कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व

यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि मान्यता है कि सभी देवी-देवता इस दिन गंगा में आते हैं और इसे अत्यंत पवित्र बनाते हैं. इस दिन अन्न, दूध और तिल का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है. दान से न केवल देवताओं का आशीर्वाद मिलता है बल्कि पितरों की प्रसन्नता भी प्राप्त होती है.


डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.


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