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Ekadashi 2024: नवंबर में कब-कब पड़ेगी एकादशी , जानें तारीख, तिथि, पूजा विधि और लाभ

हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. हर माह दो बार आने वाली एकादशी तिथि में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विधान है. मान्यता है कि इन तिथियों पर व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है और जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहती है. नवंबर माह में आने वाली दो प्रमुख एकादशियां हैं - देवउठनी एकादशी और उत्पन्ना एकादशी.

Ekadashi 2024:  नवंबर में कब-कब पड़ेगी एकादशी , जानें तारीख, तिथि, पूजा विधि और लाभ
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 25 Oct 2024 9:08 PM

Ekadashi 2024: हिंदू पंचांग में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. हर माह दो बार आने वाली एकादशी तिथि में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विधान है. मान्यता है कि इन तिथियों पर व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है और जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहती है. नवंबर माह में आने वाली दो प्रमुख एकादशियां हैं - देवउठनी एकादशी और उत्पन्ना एकादशी.

देवउठनी एकादशी 2024

इस वर्ष देवउठनी एकादशी का पर्व 12 नवंबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा. यह एकादशी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की तिथि पर आती है, जिसे भगवान विष्णु की निद्रा से जागने की तिथि माना जाता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

तिथि और शुभ मुहू

  • तिथि प्रारंभ: 11 नवंबर 2024 को शाम 06:46 बजे
  • तिथि समाप्त: 12 नवंबर को शाम 04:04 बजे
  • पारण का समय: 13 नवंबर सुबह 6:41 से 8:52 तक
  • पूजा का समय: 12 नवंबर को सुबह 6:42 से 7:52 तक सर्वार्थ सिद्धि योग में

पूजा विधि

सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाकर पूजा करें. विष्णु जी को पीले वस्त्र, तुलसी दल, चंदन, फल और पंचामृत अर्पित करें. इस दिन तुलसी विवाह का भी विधान है, जिसमें तुलसी माता को सुहाग सामग्री अर्पित की जाती है.

उत्पन्ना एकादशी 2024

मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी इस वर्ष 26 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. इसे पापों से मुक्ति का दिन भी कहा जाता है.

तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि प्रारंभ: 26 नवंबर 2024 को दोपहर 01:01 बजे
  • तिथि समाप्त: 27 नवंबर को सुबह 03:47 बजे
  • पारण का समय: 27 नवंबर को सुबह 07:06 से 09:24 तक

व्रत और पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का पूजन करें. चंदन का तिलक लगाकर तुलसी दल के साथ भोग लगाएं. विष्णु सहस्रनाम का पाठ और आरती से पूजा का समापन करें.


डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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