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Choti Diwali 2024: इस साल 2024 में छोटी दिवाली कब? यहां जानें सही तारीख और पूजा विधि!

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान यह पर्व धनतेरस के अगले दिन आता है. इस वर्ष दिवाली की तारीखों में बदलाव के कारण छोटी दिवाली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

Choti Diwali 2024: इस साल 2024 में छोटी दिवाली कब? यहां जानें सही तारीख और पूजा विधि!
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 21 Oct 2024 9:50 PM

Choti Diwali 2024: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान यह पर्व धनतेरस के अगले दिन आता है. इस वर्ष दिवाली की तारीखों में बदलाव के कारण छोटी दिवाली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. साथ ही, इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए हनुमानजी की विशेष पूजा का भी प्रचलन है.

2024 में कब है छोटी दिवाली?

साल 2024 में छोटी दिवाली 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी. चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को दोपहर 1:16 बजे से होगा और इसका समापन 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे होगा. छोटी दिवाली हमेशा सायंकाल में मनाई जाती है, इसलिए 30 अक्टूबर को शाम के समय यह पर्व मनाया जाएगा.

यम दीपदान का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. इसके साथ ही, दिवाली से एक दिन पहले दक्षिण दिशा की ओर यमराज के नाम से दीप जलाया जाता है, जिसे यम दीप कहा जाता है. यह दीप अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति और लंबी उम्र की कामना के लिए जलाया जाता है.

हनुमान जयंती और स्नान की परंपरा

छोटी दिवाली के दिन हनुमानजी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इस दिन भक्त हनुमानजी की पूजा अर्चना करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तिल के तेल से शरीर की मालिश कर स्नान करना चाहिए. साथ ही, अपामार्ग पौधे को सिर के ऊपर से तीन बार घुमाने की परंपरा है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.

धार्मिक और सामाजिक महत्व

छोटी दिवाली न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों की साफ-सफाई कर उन्हें सजाते हैं. इसके अलावा, शाम को बुराई के अंधकार को दूर करने के लिए दीपक जलाने की परंपरा भी है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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