Chhath Puja 2024: क्या पीरीयड्स के दौरान भी रख सकते हैं छठ का व्रत? जानें पौराणिक मान्यताएं और नियम
छठ पूजा भारत की प्राचीन और महत्वपूर्ण परंपरा है. इस पूजा में व्रती महिलाएं लगातार 36 घंटे तक बिना जल और अन्न ग्रहण किए व्रत रखती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं छठ का व्रत रख सकती हैं. चूंकि यह पूजा पीढ़ियों तक चलने वाली परंपरा मानी जाती है

Chhath Puja 2024: छठ पूजा भारत की प्राचीन और महत्वपूर्ण परंपरा है. इस पूजा में व्रती महिलाएं लगातार 36 घंटे तक बिना जल और अन्न ग्रहण किए व्रत रखती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान भी महिलाएं छठ का व्रत रख सकती हैं. चूंकि यह पूजा पीढ़ियों तक चलने वाली परंपरा मानी जाती है, इसलिए इस व्रत को बीच में छोड़ना उचित नहीं माना जाता. मासिक धर्म के चलते महिलाएं व्रत नहीं छोड़तीं, हालांकि पूजा के नियमों में कुछ बदलाव करना आवश्यक है.
पूजा के नियम
मासिक धर्म के समय महिलाएं व्रत तो रख सकती हैं लेकिन पूजा सामग्री और प्रसाद को स्पर्श नहीं करना चाहिए. इस दौरान पूजा से जुड़ी सामग्री जैसे पूजा की टोकरी या अर्घ्य देने के लिए प्रयुक्त चीजों को नहीं छूना चाहिए. सूर्य को अर्घ्य देने जैसी पूजा प्रक्रिया में भी महिलाएं शामिल नहीं हो सकतीं.
अर्घ्य देने की व्यवस्था
मासिक धर्म के दौरान, व्रती महिला की जगह परिवार का कोई अन्य सदस्य सूर्य को अर्घ्य दे सकता है. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अर्घ्य देने वाला व्यक्ति स्वच्छता के नियमों का पूरी तरह पालन कर रहा हो. स्नान करने के बाद बिना प्याज-लहसुन का भोजन ग्रहण कर, शुद्धता के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दिया जा सकता है.
सूर्यदेव की स्तुति
छठ पूजा में सूर्यदेव को अर्घ्य देने का रिवाज जल में खड़े होकर किया जाता है. मासिक धर्म में यदि महिला को कोई शारीरिक असुविधा न हो, तो वह जल में हाथ जोड़कर खड़ी हो सकती है और सूर्य देव का ध्यान करते हुए मंत्र जाप कर सकती है. इस दौरान पूजा की टोकरी या थाली के साथ कोई और व्यक्ति भी खड़ा रह सकता है और विधि-विधान को पूरा कर सकता है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.