आ रही है नई बहु, तो इन बातों का ध्यान रखे परिवार
जहां पहले बड़े संयुक्त परिवार में लोग आराम से रहते थे, वहीं अब नई बहु को नए परिवार में घुलने-मिलने में काफी दिक्कत होती है।

बदलते वक्त के साथ रिश्ते और परंपराओं में भी काफी बदलाव आ गया है। जहां पहले बड़े संयुक्त परिवार में लोग आराम से रहते थे, वहीं अब नई बहु को नए परिवार में घुलने-मिलने में काफी दिक्कत होती है। इसकी वजह से पूरे परिवार में तनाव होता है। अक्सर इस बात का दोष भी बहु पर ही मढ़ दिया जाता है। लेकिन जरूरी है कि परिवार घर में आए उस नए सदस्य की मनोस्थिति को समझे।
आइए, समझते हैं क्यों आजकल लड़कियों को ससुराल में अडजस्ट करने में दिक्कत हो रही है।
जेनरेशन गैप
लड़की जन्म से अपने माता पिता के साथ रही होती है, इसलिए अपने परिवार के रीति रिवाजों और परंपराओं से बचपन से ही जानती है। उसे वहां एडजस्ट करने में समस्या नहीं आती लेकिन जब वह ससुराल आती है तो विचारधारा और परंपराओं को लेकर पीढ़ीगत अंतर को महसूस करती है।
पति के साथ वक्त न बिता पाना
अपने माता पिता का घर छोड़कर आई लड़की को सबसे पहले जीवनसाथी के साथ तालमेल बिठाना होता है लेकिन जब ससुरालवाले भी साथ होते हैं तो उस पर एक साथ सभी के साथ एडजस्ट करने की मुश्किल आ जाती है। इससे लड़कियां तनाव महसूस करने लगती हैं और संयुक्त परिवार से निकलने के लिए बेचैन हो जाती हैं।
स्वतंत्रता की कमी
आधुनिक लड़कियां खुद के परिधान से लेकर जीवनशैली तक से जुड़े फैसले खुद करती हैं लेकिन सास ससुर के साथ रहने के दौरान उन्हें उनके अनुरूप अपने रहन-सहन और जीवनशैली को ढालना होता है। भारतीय परिवारों में तो आज भी सास-ससुर से पूछकर लंच या डिनर तैयार किया जाता है। ऐसे में लड़कियों को उनकी स्वतंत्रता में कमी महसूस होने लगती है, चाहे वह उनके व्यक्तिगत जीवन से संबंधित हो या घर के कामकाज से।
रिश्ते में हस्तक्षेप
सास-ससुर अपने बेटे-बहू के रिश्ते में हस्तक्षेप करते हैं जो उनके रिश्तों में दूरी पैदा कर देता है। दोनों के बीच टकराव की स्थिति में वह खुद मिलकर मामला सुलझाना चाहते हैं लेकिन संयुक्त परिवार में अक्सर ये निर्णय सामूहिक रूप से या घर के बड़े लेते हैं। इससे लड़कियों को अपनी भूमिका और अधिकार सीमित महसूस होते हैं।