इन लोगों को दही से करना चाहिए परहेज, हो सकता है नुकसान
आमतौर पर दूध या दूध से बनी चीजों को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। दही भी उनमें से एक है।

आमतौर पर दूध या दूध से बनी चीजों को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। दही भी उनमें से एक है। दही को हम कई तरह से खाते हैं। इसे रायता, कढ़ी में इस्तेमाल कर सकते हैं, इसकी लस्सी बना सकते हैं और कई तरह की डिशेज में इस्तेमाल कर सकते है. दही खाना सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद माना जाता है, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें दही का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए या नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। आपको उन लोगों के बारे में बताते हैं, जिनको दही फायदे की जगह उलटा नुकसान पहुंचा सकता है।
कमजोर पाचन या अपच वाले लोग
कमजोर पाचन तंत्र वाले लोगों के लिए दही पचाने में भारी हो सकता है, खासकर अगर रात में खाया जाए, जिससे पेट फूलना या बेचैनी हो सकती है.
सांस संबंधी समस्याओं वाले लोग
दही बलगम के प्रोडक्शन को बढ़ा सकता है, जो अस्थमा, साइनसाइटिस या बार-बार होने वाली सर्दी और खांसी जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है. ऐसे लोगों को दही से परहेज करना चाहिए।
मधुमेह रोगी
फ्लेवर्ड या मीठे दही में अक्सर एक्स्ट्रा चीनी होती है, जो ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है और डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकती है.
गठिया से पीड़ित लोग
आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार, दही "कफ" और "वात" दोषों को बढ़ा सकता है, जिससे गठिया से पीड़ित लोगों में जोड़ों के दर्द और जकड़न बढ़ सकती है.
एसिडिटी से पीड़ित लोग
दही के अम्लीय गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों में एसिड रिफ्लक्स या अपच को खराब कर सकती है.
कफ की समस्या वाले लोग
आयुर्वेद के अनुसार, दही को शरीर में "कफ" बढ़ाने वाला माना जाता है, जिससे पहले से ही कफ से परेशान व्यक्तियों में सुस्ती या असंतुलन हो सकता है. ये टॉन्सिल्स की स्थिति को भी गंभीर कर सकता है.
लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले लोग
दही में लैक्टोज होता है और लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले लोगों को दही सहित डेयरी उत्पादों का सेवन करने के बाद पेट फूलना, दस्त या पेट में ऐंठन हो सकती है.