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जीवन में अगर कोई धोखा दे तो क्या करना चाहिए?

What should one do if someone betrays oneself in life: धोखा मिलना जीवन का एक हिस्सा है, और यह हमें दुखी कर सकता है, लेकिन इसे जीवन का अंत मानना गलत होगा. सद्गुरु का यह संदेश है कि हमें धोखा देने वाले को स्वीकार करें, और भूलने की कोशिश करने के बजाय उस अनुभव से सीखकर आगे बढ़ें. मानसिक रूप से इसे अपनी यादों में संजोकर रखें और इसे एक कदम आगे बढ़ने का अवसर मानें. जब हमारी सोच में बदलाव आएगा, तो हम जीवन में सुकून से जीने में सक्षम होंगे.

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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 24 Nov 2024 11:17 PM

What should one do if someone betrays oneself in life: हमारी ज़िंदगी में कई ऐसे पल आते हैं जब हमें धोखा मिलता है, और यह धोखा किसी भी रूप में हो सकता है. यह धोखा एक रिश्ते से, एक दोस्त से, या फिर कभी-कभी परिवार के किसी सदस्य से भी हो सकता है. कभी-कभी यह धोखा हमें इतना ज्यादा आहत कर देता है कि हम खुद को उस परिस्थिति से बाहर नहीं निकाल पाते. लेकिन जब धोखा मिलता है, तो उसे कैसे सामना करें और आगे बढ़ें? सद्गुरु इस बारे में बहुत ही सार्थक और सरल तरीके से बताते हैं कि हमें धोखा मिलने पर क्या करना चाहिए.

धोखा देने वाले को स्वीकार करना

सद्गुरु के अनुसार, जब कोई हमें धोखा देता है तो हमें उसे दिल से स्वीकार करना चाहिए. इसका मतलब यह नहीं है कि हम उस व्यक्ति का समर्थन करें या उसकी गलती को सही ठहराएं. बल्कि इसका मतलब है कि हमें उस व्यक्ति को उसके कर्मों और उसकी सोच के साथ समझना होगा. जीवन में धोखा देने वाले को स्वीकार करना, इसका मतलब है कि हम अपने मन को शांति और संतुलन के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दें. जब हम यह सोचने लगते हैं कि यह उसकी सोच है और उसने जो किया, वह उसके जीवन का हिस्सा था, तो यह हमारे लिए मानसिक शांति लेकर आता है.

भूलने की कोशिश न करें

लोग अक्सर धोखा मिलने पर उसे भुलाने की कोशिश करते हैं, यह सोचकर कि यदि वे उसे भूल जाएंगे तो वे आगे बढ़ पाएंगे. लेकिन, यह तरीका सही नहीं है. सद्गुरु इसे समझाते हुए कहते हैं कि यदि आप किसी पत्थर से टकराते हैं और उसे भूलने की कोशिश करते हैं, तो आप बार-बार उसी पत्थर से टकराएंगे. इसलिए, भूलने की बजाय हमें उस धोखे को अपनी यादों में संजोकर रखना चाहिए और उसे जीवन का एक हिस्सा मानना चाहिए. इसका मतलब यह नहीं कि हम उस धोखे को बार-बार याद करके दुखी हों, बल्कि इसे एक अनुभव के रूप में स्वीकार करें और उस अनुभव से सीख लेकर आगे बढ़ें.

धोखा से उबरने के लिए मानसिक बदलाव की आवश्यकता

जब हम धोखा खाने के बाद मानसिक शांति की ओर बढ़ते हैं, तो हमें अपने दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता होती है. सद्गुरु के अनुसार, हमें यह सोचने की बजाय कि हम धोखा क्यों खाए, हमें यह सोचना चाहिए कि यह एक अवसर है हमारे भीतर की ताकत को पहचानने का. जब हम किसी कठिनाई का सामना करते हैं, तो हमें उससे सीखना चाहिए और उस सीख को अपने जीवन में लागू करना चाहिए. मानसिक तौर पर मजबूत बनने के बाद हम न केवल धोखे से उबर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में आगे बढ़ने की नई दिशा भी पा सकते हैं.

जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्या करें?

जब किसी से धोखा मिलता है, तो वह हमें आहत कर सकता है, लेकिन यह जरूरी है कि हम उस आघात को अपनी कमजोरी न बनने दें. धोखा केवल एक अस्थायी अवस्था है, जो समय के साथ बीत जाती है. अगर हम उसे याद कर के हमेशा दुखी होते रहें, तो हम कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे. हमें उस धोखे से सीखकर, अपने आप को मानसिक तौर पर मजबूत करना होगा और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने होंगे.

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