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आपका बच्चा भी स्कूल जाने में रोता है तो हो सकती है यह दिक्कत

स्कूल जाने की शुरुआत सभी बच्चों के जीवन का एक महत्वपूर्ण कदम होता है। जहां कई बच्चे स्कूल खुशी खुशी जाते हैं, वहीं कई बच्चे स्कूल जाने पर खूब रोते हैं।

आपका बच्चा भी स्कूल जाने में रोता है तो हो सकती है यह दिक्कत
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स्टेट मिरर डेस्क
by: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 14 Sept 2024 1:30 AM IST

स्कूल जाने की शुरुआत सभी बच्चों के जीवन का एक महत्वपूर्ण कदम होता है। जहां कई बच्चे स्कूल खुशी खुशी जाते हैं, वहीं कई बच्चे स्कूल जाने पर खूब रोते हैं। अगर आपका बच्चा भी लंबे समय तक स्कूल जाने से डर रहा है तो यह स्कोलियोनोफोबिया हो सकता है। आइए, समझते हैं क्या है स्कोलियोनोफोबिया।

स्कोलियोनोफोबिया, स्कूल जाने को लेकर बच्चों का डर है जिसका असर लंबे समय तक रह सकता है। वैसे तो बच्चे कभी न कभी स्कूल जाने में अनिच्छुक होते हैं, लेकिन स्कोलियोनोफोबिया वाले बच्चे स्कूल जाने के विचार से ही असुरक्षित या चिंतित महसूस कर सकते हैं।

डॉक्टर्स का मानना है कि इस तरह की समस्या उन बच्चों में अधिक देखी जाती है जिनका देखभाल करने वाले या माता-पिता ओवरप्रोटेक्टिव हों। अगर आपका बच्चा स्कूल जाने के समय रोने लगता है, नखरे करता है या बीमार हो जाता है तो इस स्थिति पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

लक्षण

यह पांच से आठ साल के बच्चों में सबसे आम है। कई बच्चों में स्कोलियोनोफोबिया के प्राथमिक लक्षण शारीरिक होते हैं। जब वे स्कूल जाने के बारे में सोचते हैं, तो बच्चों को दस्त, सिरदर्द, उल्टी, पेटदर्द, जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

कुछ बच्चे स्कूल जाने से पहले अपने माता-पिता से चिपक जाते हैं उन्हें छोड़ने से डरते हैं। बच्चों को अंधेरे का डर, बुरे सपने आने जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं। इस तरह के लक्षण अगर आप लंबे समय तक देखते हैं, तो तुरंत चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

क्यों होता है ये डर?

स्कोलियोनोफोबिया का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। लेकिन स्कूल या घर पर होने वाली कुछ समस्याएं बच्चों में फोबिया पैदा कर सकती हैं।

परिवार में महत्वपूर्ण बदलाव, जैसे कि ट्रांसफर, तलाक या किसी की मृत्यु।

स्कूल में अन्य बच्चों द्वारा धमकाया जाना, चिढ़ाना या शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकी।

घर या अपने समुदाय में हिंसा का डर।

अपने माता-पिता या देखभाल करने वाले से पूरा ध्यान न मिलना या बहुत ध्यान मिलना।

शिक्षक का डर जैसे शिक्षक द्वारा बच्चों को मारना आदि।

बच्चे को डिस्लेक्सिया (पढ़ने और भाषा में कठिनाई) या डिस्कैलकुलिया (गणित और संख्याओं को समझने में कठिनाई) की दिक्कत।

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