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क्या धूम्रपान से बेहतर है वेपिंग, जानें मिथक

कई लोग स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान की जगह वेपिंग का इस्तेमाल करते हैं। वेपिंग को अक्सर स्मोकिंग का बेहतर विकल्प माना जाता है।

क्या धूम्रपान से बेहतर है वेपिंग, जानें मिथक
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 26 Sept 2024 11:00 PM IST

धूम्रपान के नुकसान के बारे में आज किसे नहीं पता है? हालांकि, इसकी लत के कारण इसके खतरों को जानते हुए भी कई लोग इसे पूरी तरह से नहीं छोड़ पाते हैं। ऐसे में कई लोग स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान की जगह वेपिंग का इस्तेमाल करते हैं। वेपिंग को अक्सर स्मोकिंग का बेहतर विकल्प माना जाता है। आज आपको बताते हैं वेपिंग से जुड़े कुछ आम मिथकों के बारे में।

वेपिंग धूम्रपान से पूरी तरह सुरक्षित?

यह सबसे आम मिथक है। लोग मानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट या वेपिंग धूम्रपान के मुकाबले कम हानिकारक है। हालांकि, वेपिंग में निकोटिन और अन्य हानिकारक कैमिकल्स की मौजूदगी होती है, जो फेफड़ों और हृदय को नुकसान पहुंचा सकती है।

वेपिंग से कैंसर का खतरा नहीं होता?

यह धारणा भी गलत है। वेपिंग में निकोटिन और अन्य कार्सिनोजेनिक तत्व होते हैं, जो कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। लंबे समय तक वेपिंग करने से फेफड़ों और गले के कैंसर का खतरा बना रहता है।

वेपिंग से धूम्रपान छोड़ना आसान?

लोगों का मानना है कि वेपिंग धूम्रपान छोड़ने का एक बेहतर तरीका है। हालांकि, रिसर्च बताते हैं कि अधिकांश वेपिंग उपयोगकर्ता धीरे-धीरे फिर से सिगरेट की ओर लौट आते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग धूम्रपान और वेपिंग दोनों का उपयोग एक साथ करने लगते हैं, जिससे जोखिम और बढ़ जाता है।

वेपिंग उत्पादों में हानिकारक रसायन नहीं होते?

बहुत से लोग मानते हैं कि फ्लेवर्ड वेपिंग प्रोडक्ट्स हानिकारक नहीं होते, लेकिन यह गलत है। कई फ्लेवर्ड वेप्स में रसायन और धातुएं होती हैं, जो सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं।

वेपिंग से जुड़ी इन मिथकों के चलते इसका उपयोग बढ़ रहा है, लेकिन इससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को ध्यान में रखना जरूरी है। यह समय है कि हम फेफड़ों के स्वास्थ्य के महत्व को समझें और वेपिंग के खतरों से बचाव करें।

वेपिंग से दूसरे लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता?

लोग मानते हैं कि वेपिंग से केवल उसका इस्तेमाल करने वाला ही प्रभावित होता है। लेकिन, वेपिंग से निकले हुए धुएं में भी हानिकारक कैमिकल होते हैं, जो दूसरों की सेहत के लिए भी हानिकारक होते हैं, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए।

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