जानें, कैसे होता है क्रोनिक बर्नाउट, इसे सामान्य तनाव समझने की न करें गलती
थोड़ा-सा आराम करके तनाव व थकान को दूर कर सकते हैं, पर बर्नआउट तो हमें डरावने स्तर तक लेकर चला जाता है।

इन दिनों काम का तनाव और थकान तो मानों जीवन का आम हिस्सा है। हालांकि इस तनाव की अति क्रोनिक बर्नाउट की वजह बन सकती है। ऐसे में इसे समझना बेहद जरूरी है। वर्क-लाइफ असंतुलन में जी रहे लोग बढ़ते काम के दबाव के साथ असहाय और निराश महसूस करने लगते हैं। इसका असर बहुत बड़ा होता है। थोड़ा-सा आराम करके तनाव व थकान को दूर कर सकते हैं, पर बर्नआउट तो हमें डरावने स्तर तक लेकर चला जाता है।
बर्नआउट से पहले एक स्थिति होती है तनाव की। जब तनाव लंबे समय तक बना रहे तो वह बर्नआउट हो जाता है। इससे मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य और इम्युनिटी तीनों ही प्रभावित होती है। किसी चुनौती का सामना करने से पहले स्ट्रेस से सामना होता ही है। यह अच्छा भी है। लेकिन, तनाव और दबाव लगातार बने रहना खतरनाक हो सकता है।
हमारे मस्तिष्क में हाइपोथैल्मस होता है, जैसे ही कोई तनावपूर्ण स्थिति आती है, एमिगडाला के सिग्नल से वह सक्रिय हो जाता है। कोई खतरा सामने आने पर शरीर में अलग-अलग हार्मोन निकलने लगते हैं। ये हाइपोथैल्मस को ट्रिगर करते हैं। एसीटीएच हार्मोन ब्लड स्ट्रीम में चला जाता है। इससे कार्टिसोल निकलता है, जिसे स्ट्रेस हार्मोन कहते हैं। कार्टिसोल थोड़े समय के लिए रिलीज हो तो शरीर में अलर्ट मोड में चला जाता है। इसके धीमे पड़ते ही दिमाग शांत हो जाता है और सभी हार्मोन सामान्य हो जाते हैं। लेकिन जब ये स्ट्रेस 24 घंटे बना रहे, तो दिमाग में बिहैवियर पैटर्न बन जाता है। इससे लगातार कार्टिसोल रिलीज होने लगता है, जो हानिकारक है।
लगातार तनाव में रहने से हमें थके और बूढ़े दिखने लगते हैं। इससे शरीर की इम्युनिटी खराब हो जाती है। पेट की समस्या भी होने लगती है। तनावपूर्ण माहौल में काम करने वालों के साथ यह समस्या स्थायी तौर पर जुड़ जाती है। पाचन में सहायता करने वाले आंतों के अच्छे बैक्टीरिया खराब होने लगते हैं। अगर हमारा शरीर 24 घंटे तनाव में रहेगा तो जाहिर है शरीर हर समय एक्टिवेट रहेगा। इससे थकान और आलस्य होगा। फोन आने पर भी घबराहट होने लगती है। इससे इमोशनल, काग्निटिव हेल्थ और इम्युनिटी सब खराब होने लगेगी।