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कांचीपुरम बना अफेयर कैपिटल! Non Monogamy में नंबर वन पर, जानें क्यों ये कल्चर हो रहा भारत में पॉपुलर

मॉडर्न लाइफस्टाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया और बदलते सामाजिक नजरिए ने लोगों को रिश्तों के प्रति खुला बनाया है. इसके चलते अब रिलेशनशिप के मायने बदलते जा रहे हैं. जहां पहले के रिश्ते ज़्यादातर मोनोगैमी पर टिके होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है.

कांचीपुरम बना अफेयर कैपिटल! Non Monogamy में नंबर वन पर, जानें क्यों ये कल्चर हो रहा भारत में पॉपुलर
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( Image Source:  AI Perplexity )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 22 July 2025 7:56 PM IST

Ashley Madison की शुरुआत हुई थी एक ऐसे डेटिंग ऐप के तौर पर जो खासतौर पर उन लोगों के लिए था जो, कहीं और संबंध बनाना चाहते थे. उन्होंने खुद को दुनिया का नंबर 1 मैरिड डेटिंग ऐप बताया है. लेकिन शायद ये इतना खास नहीं था, बस कुछ लोगों के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म था.

जून 2025 में इस ऐप ने भारत के उन 20 शहरों की लिस्ट जारी की, जहां सबसे ज़्यादा नए यूज़र जुड़ रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि ये सिर्फ बड़े शहर नहीं हैं, बल्कि टियर-2 और टियर-3 के छोटे शहर भी इस लिस्ट में आगे आ रहे हैं. मतलब छोटे शहरों में भी लोग अब अपने रिश्तों के नए रूपों को अपनाने लगे हैं. चलिए जानते हैं नॉन मोनोगैमी के बारे में और ये कल्चर क्यों भारत में भी पॉपुलर हो रहा है?

कांचीपुरम सबसे ऊपर

इस सर्वे में तमिलनाडु का कांचीपुरम सबसे ऊपर है. यह शहर अपनी पुरानी संस्कृति के लिए मशहूर है, लेकिन यहां के लोग इस ऐप पर दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों से भी ज़्यादा एक्टिव हैं. पिछले साल यह शहर 17वें नंबर पर था, अब सीधे पहले नंबर पर आ गया है.

नॉन- मोनोगैमी रिश्ते क्या होते हैं?

नॉन मोनोगैमी का मतलब है कि कोई व्यक्ति एक समय में सिर्फ एक ही साथी के साथ नहीं रहता है. ये वो लोग होते हैं जो एक से ज़्यादा प्यार या रिश्ते रखते हैं. ये शादीशुदा भी हो सकते हैं या रिलेशनशिप में भी. ऐसे रिश्ते पारंपरिक एक-पत्नी या एक-पती के रिश्ते से अलग होते हैं. नॉन मोनोगैमी में कई तरह के रिलेशन हो सकते हैं जैसे कि ओपन मैरिज, पॉलिएमोरी (कई प्यार), या अफेयर.

क्यों भारत में हो रहा पॉपुलर?

डेटिंग ऐप्स जैसे एशले मैडिसन ने नॉन-मोनोगैमी को एक्सप्लोर करना आसान बनाया है. भारत में भी इन ऐप्स का तेजी से बढ़ता यूजर बेस इस ट्रेंड को बढ़ावा दे रहा है. अकेले माता-पिता और तलाकशुदा लोगों की संख्या बढ़ने से रिश्तों के नए स्वरूप जैसे नॉन-मोनोगैमी को अपनाने वाले लोग भी बढ़ रहे हैं.

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