पटाखों के धुएं से बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें कैसे हो सकता है जानलेवा
वाली के बाद खांसी, अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याओं के मामले में काफी इजाफा देखा जाता है। इन समस्याओं से न सिर्फ बड़े बल्कि बच्चे भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। आइए समझते हैं कि पटाखों से होने वाला धुआं हमारे स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर डालता है।

बढ़ते स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए हर साल पटाखे न चलाने की अपील की जाती है, लेकिन फिर भी बाजारों में पटाखों की बिक्री होती रहती है। कई बार पटाखों के कारण दुर्घटनाएं भी होती हैं जिनमें लोगों की जान तक चली जाती है।
अलग-अलग अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि पटाखों के धुएं में कई ऐसे हानिकारक रसायन होते हैं जो सीधे हमारे फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। दीवाली के बाद खांसी, अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याओं के मामले में काफी इजाफा देखा जाता है। इन समस्याओं से न सिर्फ बड़े बल्कि बच्चे भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
आइए समझते हैं कि पटाखों से होने वाला धुआं हमारे स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर डालता है।
गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव
पटाखों से निकलने वाला धुआं गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। धुएं में मौजूद हानिकारक रसायन श्वसन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, इन रसायनों के संपर्क में आने से गर्भ में पल रहे बच्चे में जन्मजात विकलांगता होने का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहने से गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है।
कैंसर का खतरा
पटाखों का धुआं सिर्फ फेफड़ों तक ही सीमित नहीं रहता; इसके गंभीर परिणाम पूरे शरीर पर होते हैं। इनमें से सबसे खतरनाक खतरा है कैंसर का। जी हां, पटाखों की रंगीन चमक के लिए जिन रसायनों और रेडियोधर्मी तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है, वे कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देते हैं। ये हानिकारक पदार्थ शरीर में प्रवेश कर विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
हार्ट अटैक का जोखिम
दिल के मरीजों के लिए पटाखों का धुआं बेहद खतरनाक हो सकता है। पटाखों से निकलने वाला धुआं सीधे फेफड़ों में जाकर उन्हें नुकसान पहुंचाता है और सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकता है। इसके अलावा, पटाखों की तेज आवाज दिल पर दबाव डालती है और दिल की धड़कन को अनियमित बना सकती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। छोटे बच्चों और जानवरों के लिए भी पटाखों की आवाज बहुत डरावनी होती है। वे डर के मारे रोने लगते हैं और उनकी दिल की धड़कन बहुत तेज हो जाती है।
अस्थमा की परेशानी
दीवाली की रौनक के बाद हवा में फैले जहर से हमारी सेहत खतरे में पड़ जाती है। धूल के कणों में मौजूद जहरीले तत्व हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा के मरीजों के लिए सांस लेना मुश्किल बना देते हैं। कैडमियम नामक तत्व खून में ऑक्सीजन की कमी पैदा कर हमें कमजोर बना देता है।