फूड पैकेट्स से शरीर में जा रहे खतरनाक केमिकल्स, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां
वैज्ञानिकों ने पाया कि हम सभी खान-पान के माध्यम से रोजाना जाने-अनजाने कई प्रकार के रसायनों को निगल रहे हैं, जिनसे सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है।

90 के दशक में जिन स्वास्थ्य समस्याओं को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों को रूप में जाना जाता था, वह आज के समय में युवाओं और बच्चों में भी देखी जा रही हैं। ऐसा हम नहीं, बल्कि दुनियाभर की कई रिसर्च कह रही हैं।
दुनियाभर में बढ़ती क्रोनिक बीमारियां गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं। पिछले दो-तीन दशक के आंकड़े उठाकर देखें तो यही नतीजे निकलते हैं।
एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने भोजन के संपर्क में आने वाले 14,000 से अधिक अलग-अलग रसायनों-यौगिकों की पहचान की है। इस नए अध्ययन से पता चला है कि उनमें से करीब 3,601 मानव शरीर में पाए गए हैं। इसे फूड कॉन्टैक्ट कैमिकल (एफसीसी) का करीब 25 फीसदी माना जा सकता है।
इस संबंध में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि इसके लिए कई तरह के पर्यावरणीय और आहार में गड़बड़ी वाले कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि हम सभी खान-पान के माध्यम से रोजाना जाने-अनजाने कई प्रकार के रसायनों को निगल रहे हैं, जिनसे सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है।
खान-पान की चीजों के माध्यम से हमारे शरीर में दैनिक रूप से कई प्रकार के हानिकारक तत्व प्रवेश कर रहे हैं। मुख्य रूप से पैक्ड फूड वाली प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, कंटेनर और प्लास्टिक बैग के माध्यम से रसायन और माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि इनमें से कई कैंसर, स्थाई आनुवंशिक परिवर्तन, प्रजनन प्रणाली में गड़बड़ी और शरीर में विषाक्तता बढ़ाने वाले हो सकते हैं।
प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, कंटेनर के माध्यम से शरीर में कई प्रकार के मेटल, कीटनाशक और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक भी पाए जो सांस के साथ शरीर में जा सकते हैं। इतना ही नहीं, फथलेट्स रसायन को लेकर भी चिंता जताई गई है जिनका उपयोग प्लास्टिक, परफ्यूम-डियोड्रेंट और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।
अध्ययनों में इसके कई दुष्प्रभावों के बारे में पता चलता है। इससे होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण कई जगहों पर इसे प्रतिबंधित किया जा चुका है। मुख्य रूप से कंटेनरों और शिशु की बोतलों में इस कैमिकल की पहचान की गई थी। इतना ही नहीं उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को निर्देश भी दिया गया है कि वह स्पष्ट करें कि ये बीपीए फ्री हैं या नहीं।