बच्चे पर कितना असर करता है प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर का इलाज
इन दिनों ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मामला तब और जटिल हो जाता है अगर किसी गर्भवति महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो जाए। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा फिक्र का सबब ये है कि क्या ये कैंसर भ्रूण तक फैल सकता है?

इन दिनों ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मामला तब और जटिल हो जाता है अगर किसी गर्भवति महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो जाए। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा फिक्र का सबब ये है कि क्या ये कैंसर भ्रूण तक फैल सकता है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्तन कैंसर खुद बच्चे को सीधे तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है। ये कैंसर ब्रेस्ट टिश्यू, लिम्फ नोड्स या मां के शरीर के भीतर अन्य इलाकों तक सीमित रहता है और बच्चे तक पहुंचने के लिए प्लेसेंटा को पार नहीं करता है।
कुछ मामलों में गर्भवती महिलाएं बच्चे को होने वाले किसी भी संभावित जोखिम से बचने के लिए चाइल्ड बर्थ के बाद तक कैंसर के ट्रीटमेंट में देरी करने पर विचार कर सकती हैं। हालांकि ये फैसला सिर्फ ऑन्कोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन से सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए। इलाज में देरी करने से कैंसर बढ़ कर सकता है, जिससे इसका असरदार तरीके से ट्रीटमेंट करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
कैंसर खुद भ्रूण को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान स्तन कैंसर के इलाज में संभावित जोखिम हो सकते हैं। मेडिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि ट्रीटमेंट के ऑपशंस प्रेग्नेंसी के स्टेज और कैंसर के स्टेज पर निर्भर करते हैं।
पहली तिमाही
ये बच्चे के अंगों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पीरियड है इसलिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसे कुछ ट्रीटमेंट से आम तौर पर बचा जाता है। हालांकि पहले तिमाही के दौरान ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी को सेफ माना जाता है।
दूसरी और तीसरी तिमाही
अगर प्रेग्नेंसी इस स्टेज के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है, तो कीमोथेरेपी सावधानी से दी जा सकती है। स्टडीज से पता चला है कि पहली तिमाही के बाद दी जाने वाली कीमोथेरेपी से बर्थ डिफेक्ट का रिस्क या बच्चे के विकास को नुकसान नहीं पहुंचता है। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद तक रेडिएशन से बचा जाता है।