कहीं दोपहर को सोते हुए आप भी तो नहीं करते ये गलतियां
दोपहर की इस पावर नैप को लेकर कई लोग कुछ गलतियां करते हैं, जिसका उनके शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है।

दोपहर की नींद लेना कई लोगों को पसंद होता है। कामकाज की थकान से थोड़ा ब्रेक लेने के लिए यह जरूरी भी होता है। दोपहर की नींद जिसे अक्सर 'पावर नैप' या 'दोपहर की झपकी' कहा जाता है, थकान दूर करने और ताजगी पाने का एक बेहतरीन तरीका हो सकती है। खास तौर से उन लोगों के लिए जो सुबह जल्दी उठते हैं या रात में पर्याप्त नींद नहीं ले पाते। हालांकि, दोपहर की इस पावर नैप को लेकर कई लोग कुछ गलतियां करते हैं, जिसका उनके शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है। आइए, जानते हैं इन सामान्य गलतियों के बारे मेँ।
गलत समय पर सोना
दोपहर की नींद का सही वक्त भी अहम है। दोपहर 1 से 3 बजे के बीच सोना सबसे आदर्श माना जाता है, क्योंकि इस समय शरीर की ऊर्जा का स्तर स्वाभाविक रूप से कम होता है। इस समय के बाद सोना आपकी रात की नींद को प्रभावित कर सकता है।
देर तक सोना
दोपहर में अधिक समय तक सोना शरीर के नेचुरल स्लीप साइकिल को डिस्टर्ब कर सकता है। जानकारों के मुताबिक दोपहर की नींद 20 से 30 मिनट तक होनी चाहिए। अगर आप एक घंटे या उससे अधिक सोते हैं, तो आपको 'स्लीप इनेर्शिया' का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जागने के बाद आलस और सुस्ती महसूस होती है।
लंच के तुरंत बाद सोना
कई लोग खाने के बाद आलस महसूस करते हैं और सो जाते हैं। हेवी लंच के तुरंत बाद सोना डाइजेशन को प्रभावित कर सकता है। इससे गैस, एसिडिटी और पेट की अन्य समस्याएं हो सकती हैं। भोजन के बाद थोड़ी देर टहलना और फिर आराम करना बेहतर होता है।
रोजाना दोपहर की नींद लेना
दोपहर की नींद का इस्तेमाल एक इमरजेंसी में किया जाने वाले उपाय के रूप में होनी चाहिए। हर दिन दोपहर में सोने से आपका बॉडी क्लॉक बिगड़ सकता है, जिससे रात की नींद पर असर पड़ता है।
आरामदायक माहौल में सोना
जब दोपहर में सोने की बात आती है, तो कई लोग कमरे को पूरी तरह अंधेरा और ठंडा रखते हैं, जिससे गहरी नींद आ जाती है। हालांकि, दोपहर की नींद हल्की और कम समय की होनी चाहिए।