EVM का रोना रोने वाला विपक्ष, दो राज्यों में करारी हार के बाद क्यों है शांत, क्या है कांग्रेस का अगला प्लान?
Congress Working Committee (CWC): कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए राष्ट्रीय आंदोलन करने का फैसला किया है. हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के लिए चुनावी गड़बड़ियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. हालांकि, अब डायरेक्ट EVM पर निशाना साधने से कांग्रेस बचती दिख रही है.

Congress Working Committee (CWC): हरियाणा और महाराष्ट्र में लगातार चुनावी हार में कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने इस बार चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल उठाया है. कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में विपक्षी दल ने शुक्रवार को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग को लेकर राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करने का फैसला किया. इसके साथ ही पार्टी ने चुनाव आयोग (EC) पर पक्षपातपूर्ण काम करने का आरोप लगाते हुए निशाना भी साधा है.
कांग्रेस ने विरोध के अपने रणनीति को बदलते हुए इस बार EVM पर नहीं फोकस करने का फैसला लिया है. पार्टी अब पूरे चुनावी प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग के कामकाज सवाल उठाते हुए एक मुहिम शुरू करेगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से मतपत्रों की वापसी का आह्वान करने के कुछ दिनों बाद साढ़े चार घंटे तक चली बैठक में आम सहमति यह थी कि पार्टी सभी स्तरों पर चुनावी कदाचार पर ध्यान केंद्रित करे.
EVM को दोष देना समझदारी नहीं -कांग्रेस
कांग्रेस नेतृत्व का एक वर्ग सोचता है कि हार के लिए EVM को दोष देना समझदारी नहीं है क्योंकि पार्टी के पास EVM पर आरोप लगाने के लिए अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं है और इसलिए फोकस अब पूरा चुनाव आयोग होना चाहिए. इसलिए बैठक में EVM की चर्चा नहीं की गई.
कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव में कहा गया कि CWC का मानना है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी से समझौता किया जा रहा है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक जनादेश है, जिसे चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में लाया जा रहा है. कांग्रेस इन सार्वजनिक चिंताओं को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी.
महाराष्ट्र में भी हेराफेरी जैसे आरोप
कांग्रेस अपनी हर हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर ही फोड़ने का फैसला ले रही है. कांग्रेस कार्यसमिति ने हरियाणा और महाराष्ट्र में हार के लिए चुनावी कदाचार को जिम्मेदार ठहराया. प्रस्ताव में कहा गया, 'कांग्रेस को हरियाणा में एक बड़े अंतर से सरकार बनानी चाहिए थी. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि यहां चुनाव में बड़ा हेरफेर हुआ, जिसे नजर अंदाज कर दिया गया है
कांग्रेस कार्यसमिति ने ये भी कहा, 'महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदर्शन वास्तव में इसके EVM सहयोगियों की तरह समझ से परे है और वास्तव में चौंकाने वाला है. चुनावी परिणाम सामान्य समझ से परे हैं. यहां साफ तौर पर दिख रहा है कि चुनाव में पहले से ही प्लानिंग करके हेरफेर किया गया है.'
बैलेट पेपर पर वापसी की मांग
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, AICC महासचिव और वायनाड से नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेता एक बार फिर से बैलेट पेपर पर वापसी की मांग कर रहे हैं. राज्यसभा सांसद अभिषेक सिंघवी ने कहा कि पार्टी को एक सुसंगत रुख अपनाना चाहिए और पहली मांग बैलेट पेपर पर वापसी होनी चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि सरकार और चुनाव आयोग उस मांग से सहमत नहीं हो सकते हैं, इसलिए पार्टी को वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों के 100% सत्यापन की मांग करनी चाहिए.
महाराष्ट्र में हार की जांच के लिए पैनल
हरियाणा की तरह ही पार्टी ने महाराष्ट्र में भी अपने चुनावी प्रदर्शन की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने का फैसला किया है. यह पूछे जाने पर कि प्रस्ताव में ईवीएम का जिक्र क्यों नहीं किया गया संगठन के प्रभारी एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा, 'हमने स्पष्ट रूप से जोर दिया है कि इन चुनावों के दौरान चुनावी गड़बड़ियां हुईं. हमने पहले ही हरियाणा में एक तकनीकी टीम भेजी है और महाराष्ट्र में भी एक टीम भेजने जा रहे हैं. हम बूथ स्तर पर विस्तृत विश्लेषण करेंगे. मतदाता सूची और मतदान संख्या में विसंगतियों के बारे में बहुत सारी शिकायतें हैं. विश्लेषण के दो स्तर होंगे, एक राजनीतिक और दूसरा तकनीकी.'
कांग्रेस की हार और चुनाव आयोग जिम्मेदार!
कुछ सालों से कांग्रेस लगातार हार के बाद भी एक ठोस मुद्दा या फिर कदम उठाने में नाकाम दिख रही है. पार्टी का नेतृत्व ये तय नहीं कर पा रहा है कि जनता के बीच कैसे कनेक्ट हो सके या फिर पार्टी अपनी अंदर के कलह को कैसे सुलझाए? हाल में ही पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने हार के लिए अंदरूनी कलह की बात स्वीकारी थी. हालांकि, पार्टी आगे भी अपने पुराने मुद्दों को लेकर आगे बढ़ना चाहती है, लेकिन बड़े लेवल पर. यानी कि कांग्रेस ने EVM को पूरी तरह नहीं छोड़ा है, लेकिन अब पार्टी के निशाने पर पूरा चुनाव आयोग और उसके काम करने का तरीका है.