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VIDEO: आखिर क्यों महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अंबानी के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग? Trending Boycott Jio

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हजारों लोग रिलायंस वनतारा और जियो के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. वजह है हथिनी महादेवी को अदालत के आदेश पर गुजरात के वनतारा केंद्र भेजा जाना, जिसे स्थानीय लोग अपनी धार्मिक आस्था से जुड़ा मानते हैं. जनभावनाओं के विरोध में उठे इस आंदोलन ने जोर पकड़ा, और अब तक 1.5 लाख से ज्यादा लोगों ने जियो छोड़कर अपना नंबर दूसरी कंपनियों में पोर्ट कर लिया है.

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( Image Source:  Social Media )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 5 Aug 2025 4:37 PM IST

महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली और सतारा जिलों में बीते कुछ दिनों से एक हथिनी के नाम पर एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो गया है. इस आंदोलन की जड़ें सिर्फ पशु प्रेम से जुड़ी नहीं हैं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय अस्मिता से भी ताल्लुक रखती हैं. स्थानीय लोगों में इतना गुस्सा है कि उन्होंने न केवल रिलायंस वनतारा का विरोध किया, बल्कि इसके साथ रिलायंस जियो का भी बहिष्कार शुरू कर दिया है.

पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में रविवार को हजारों लोगों ने कोल्हापुर से एक ऐतिहासिक मौन रैली निकाली. यह रैली महज प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि एक जनभावना की सशक्त अभिव्यक्ति थी. जिसमें लोगों ने यह संदेश दिया कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और अपनी “महादेवी” को इतनी आसानी से जाने नहीं देंगे.

कौन है हथिनी महादेवी और क्यों मचा है इतना हंगामा?

हथिनी महादेवी उर्फ माधुरी, 1992 से कोल्हापुर के पास स्थित नांदणी के जिनसेन भट्टारक पत्ताचार्य महास्वामी जैन मठ की प्रिय सदस्य रही है। सालों से उसे वहां पूजा और सेवा का प्रतीक माना गया. लेकिन 2022 में पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने उसकी हालत पर सवाल उठाए और अक्टूबर 2023 में पर्यावरण मंत्रालय की हाई पावर कमेटी के सामने एक विस्तृत शिकायत दर्ज की.

शिकायत में महादेवी की गंभीर शारीरिक चोटों, मानसिक तनाव और पशु चिकित्सा रिपोर्ट के साथ कई तस्वीरें भी शामिल थीं. इसके आधार पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को उसे गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा के राधे कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने भी 25 जुलाई को इस आदेश को बरकरार रखा.

क्यों भड़का जन आक्रोश?

कोल्हापुर, सांगली और सतारा के जैन समुदाय और स्थानीय लोग इस ट्रांसफर को अपने धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं पर हमला मान रहे हैं. लोगों का मानना है कि महादेवी सिर्फ एक हाथी नहीं, बल्कि धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है. राजू शेट्टी ने कहा, 'महादेवी को आंसुओं के साथ ले जाया गया. जहां उसे ले जाया गया है, वहां पहले से ही 225 हाथी हैं, फिर भी वे उसे चाहते थे क्योंकि वह सुंदर है.

जियो का बहिष्कार: तकनीक पर भावनाओं की जीत

इस विरोध का सबसे अनोखा पहलू रहा रिलायंस जियो के खिलाफ शुरू हुआ अभियान. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार दिनों में तीन जिलों के 1.5 लाख से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं ने अपने नंबर अन्य नेटवर्क पर पोर्ट कर दिए. यह कदम सीधे रिलायंस वनतारा के खिलाफ नाराज़गी की प्रतिक्रिया के तौर पर उठाया गया.

रैली में जनसैलाब: मौन लेकिन मुखर

कोल्हापुर से 45 किलोमीटर लंबी इस मौन रैली में 30,000 से अधिक लोग शामिल हुए, जो तीन जिलों से आए थे. कांग्रेस एमएलसी सतेज पाटिल ने जानकारी दी कि दो लाख से अधिक लोगों ने महादेवी की वापसी की मांग वाले फॉर्म पर हस्ताक्षर किए हैं, जिन्हें राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा जाएगा.

वनतारा की सफाई- 'हम तो सिर्फ आदेश मान रहे हैं'

रिलायंस वनतारा की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, 'वनतारा किसी भी धर्म, क्षेत्र या परंपरा के विरोध में नहीं है, बल्कि उन मूक प्राणियों की सेवा में है जो मानवीय दया पर निर्भर हैं. यह कदम हमने खुद नहीं उठाया, बल्कि अदालत के आदेश का पालन किया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए मंगलवार को एक बैठक बुलाने की बात कही है. वे कानूनी पहलुओं की जांच कर महादेवी की वापसी के रास्ते तलाशने की कोशिश करेंगे. वहीं बीजेपी सांसद धनंजय महादिक और शिवसेना सांसद धैर्यशील माने ने केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर महादेवी की वापसी की मांग की है.

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